दिल्ली में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब 20 अगस्त 2025 की सुबह मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता पर उनके सिविल लाइंस कैंप ऑफिस में जनसुनवाई के दौरान एक शख्स ने हमला कर दिया।
गुजरात के राजकोट से आए 41 वर्षीय राजेश भाई खिमजी भाई सकारिया, जो एक हिस्ट्रीशीटर है, ने कथित तौर पर मुख्यमंत्री को धक्का दिया और उनके बाल खींचे। इस हमले में रेखा को सिर, कंधे और हाथ में चोटें आईं।
हमलावर को तुरंत मुख्यमंत्री की सुरक्षा टीम और वहां मौजूद लोगों ने पकड़ लिया। देर रात कोर्ट ने उसे 5 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया।
इस चौंकाने वाली घटना के बाद रेखा गुप्ता ने अपने पिता जयभगवान जिंदल की सीख को याद करते हुए एक भावुक किस्सा साझा किया, जिसमें उनका दर्द और दृढ़ संकल्प दोनों झलके।
हमले के बाद रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया और मीडिया से बातचीत में अपने कॉलेज के दिनों का एक किस्सा साझा किया, जो उनके पिता से जुड़ा था। उन्होंने कहा, मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी। एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया। मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा। तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएं होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है। आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती।
सीएम रेखा गुप्ता ने आगे कहा, आज उनकी वही सीख मुझे याद आई। कल एक और दुर्घटना हुई, लेकिन मैं दिल्लीवासियों के हितों के लिए लड़ना कभी नहीं छोड़ूंगी। मेरा हर क्षण और शरीर का हर कण दिल्ली के लिए है। मैं हर प्रहार के बावजूद दिल्ली का साथ नहीं छोड़ूंगी।
रेखा ने आगे कहा, महिलाओं में तकलीफों से लड़ने की दोहरी ताकत होती है। उन्हें बार-बार खुद को साबित करने के लिए अनगिनत परीक्षाएं देनी पड़ती हैं। मैं भी हर चुनौती के लिए तैयार हूं।
अपने बयान को और प्रेरक बनाते हुए, उन्होंने मशहूर कविता की पंक्तियां साझा कीं: बाधाएं आती हैं आएं, घिरें प्रलय की घोर घटाएं, पांवों के नीचे अंगारे, सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं, निज हाथों से हंसते-हंसते, आग लगाकर जलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।
हमले के बाद भी रेखा गुप्ता ने हार नहीं मानी। उन्होंने ऐलान किया, अब जनसुनवाई सिर्फ मेरे घर पर नहीं, बल्कि दिल्ली की हर विधानसभा में होगी। आपकी मुख्यमंत्री आपके द्वार आएगी। यह कदम उनकी जनता के प्रति प्रतिबद्धता और साहस को दर्शाता है।
रेखा गुप्ता का जन्म 19 जुलाई 1974 को हरियाणा के जींद जिले के जुलाना में हुआ था। उनके दादा गंगाराम और काशीराम आढ़तिया थे और जुलाना में उनकी आढ़त की दुकान थी। रेखा के पिता जयभगवान जिंदल बैंक ऑफ इंडिया में मैनेजर थे। जब रेखा दो साल की थीं, तब उनके पिता की पोस्टिंग दिल्ली में हुई, और पूरा परिवार दिल्ली शिफ्ट हो गया। उनकी मां उर्मिला जिंदल गृहिणी थीं। दिल्ली में ही रेखा ने स्कूली शिक्षा, ग्रेजुएशन और LLB की पढ़ाई पूरी की। उनके पिता की सीख और सादगी ने रेखा के व्यक्तित्व को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई।
रेखा गुप्ता का यह बयान न सिर्फ उनके निजी दर्द को बयां करता है, बल्कि उनकी दृढ़ता और जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी को भी उजागर करता है। उनके पिता की सीख ने उन्हें इस मुश्किल घड़ी में हिम्मत दी, और उनका यह संदेश हर उस महिला के लिए प्रेरणा है जो चुनौतियों का सामना करती है।
इस बीच, हमले के आरोपी राजेश भाई खिमजी भाई सकारिया ने पुलिस को बताया कि उसे भगवान कृष्ण ने दिल्ली जाने का आदेश दिया था।
*मैं जब कॉलेज में थी, तब पापा ने मुझे कार चलाने के लिए दी। एक दिन बड़ा एक्सीडेंट हो गया। मैं डर गई और मुझे दुबारा कार को हाथ लगाने से डर लगने लगा। तब पापा ने कहा कि जीवन में दुर्घटनाएँ होती रहती हैं, डरकर रुकना नहीं है। आप रास्ते पर चलना नहीं छोड़ सकती।
— Rekha Gupta (@gupta_rekha) August 21, 2025
आज उनकी वही सीख फिर याद आ… pic.twitter.com/gAPDhirjK8
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