मौत की घंटी और सुपर इमरजेंसी: मोदी सरकार के नए बिल पर विपक्ष का हल्ला बोल
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लोकसभा में पेश 130वें संविधान संशोधन विधेयक का विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है. बिल के अनुसार, गंभीर अपराध में 30 दिन तक जेल में बंद रहने पर मुख्यमंत्री, मंत्री, यहां तक कि प्रधानमंत्री को भी पद से हटाया जा सकता है.

विपक्ष का आरोप है कि इस बिल का दुरुपयोग करके राज्यों की सरकारों को अस्थिर किया जा सकता है. विपक्षी दलों ने संसद सत्र के एकदम अंत में बिल लाने पर सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े किए हैं.

पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल के मुख्यमंत्रियों ने इस बिल को लोकतंत्र खत्म करने वाला और सुपर इमरजेंसी से भी बढ़कर बताया है.

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह मध्यकालीन दौर में वापस लौटने जैसा है, जहां राजा पसंद न आने पर किसी को भी पद से हटा सकता था.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे सरकार का छल बताया और कहा कि यह बिल राज्यों से सरकारों को हटाने के लिए सत्ताधारी पार्टी का हथियार बन जाएगा. उन्होंने कहा कि यह बिल संसदीय लोकतंत्र और संघवाद के मूल्यों को कमजोर करता है.

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि ये बिल केंद्रीय जांच एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर बदले की राजनीति और राजनीतिक शिकार करने की प्रक्रिया की अगली कड़ी है. कई मुख्यमंत्री और मंत्री लंबे समय तक जेल में डाले गए हैं, लेकिन उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया. यह बिल मोदी सरकार की हताशा को दर्शाता है.

तृणमूल कांग्रेस (TMC) नेता अभिषेक बनर्जी ने सरकार पर विपक्षी दलों को सूचित किए बिना ही बिल पेश करने पर सवाल उठाया. उन्होंने इसे SIR से ध्यान भटकाने की रणनीति बताया और कहा कि बीजेपी संविधान को बदलना चाहती है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बिल को सुपर-इमरजेंसी से भी बड़ा कदम और भारतीय लोकतंत्र की आत्मा पर हिटलर जैसा हमला बताया. उन्होंने कहा कि यह बिल न्यायपालिका की स्वतंत्रता को खत्म करना चाहता है.

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा कि मोदी सरकार संविधान को अपवित्र करने का काम कर रही है. उन्होंने कहा कि यह बिल बीजेपी को राज्यों के सत्ताधारी राजनीतिक विरोधियों पर झूठे मामले थोपने और उन्हें हटाने की इजाजत देता है.

राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा ने इस बिल को विपक्ष मुक्त लोकतंत्र की दिशा में सरकार की कोशिश बताया. उन्होंने कहा कि यह बिल लोकतंत्र की आत्मा को दबाने का प्रयास है.

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान पर हमला करने वालों और उसकी रक्षा करने वालों के बीच युद्ध चल रहा है. अगर किसी का चेहरा पसंद नहीं आया तो ईडी से उसे गिरफ्तार करवाया जा सकता है और एक लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ प्रतिनिधि सिर्फ 30 दिनों में पद से हटा दिया जाता है.

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