कंधार सीमा पर हालिया संघर्ष ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और जटिल बना दिया है। बुधवार सुबह दोनों देशों की सेनाओं के बीच हुई गोलाबारी में कई नागरिक मारे गए हैं।
इस बीच, चीन के रुख ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चौंका दिया है - उसने पाकिस्तान के खिलाफ जाते हुए अफगानिस्तान की संप्रभुता का समर्थन किया है। इस घटनाक्रम ने तालिबान सरकार को कूटनीतिक मजबूती दी है, जबकि पाकिस्तान के लिए यह विदेश नीति की बड़ी हार मानी जा रही है।
चीन ने बुधवार को एक अप्रत्याशित बयान देते हुए कहा कि वह अफगानिस्तान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है। यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान की सेना ने कंधार प्रांत के स्पिन बोलदक और शोराबक इलाकों में अफगान ठिकानों पर हमला किया था।
अफगान उप विदेश मंत्री मोहम्मद नईम ने चीन के राजदूत झाओ जिंग से मुलाकात कर इस मुद्दे को उठाया। अफगान पक्ष ने साफ कहा कि पाकिस्तान का हमला मानवीय और इस्लामी मूल्यों का उल्लंघन है।
इस पर झाओ जिंग ने न सिर्फ अफगानिस्तान के जवाबी कदम की सराहना की, बल्कि बीजिंग की ओर से अफगान संप्रभुता के सम्मान की भी पुष्टि की। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह रुख पाकिस्तान के लिए बेहद असहज स्थिति पैदा कर सकता है, क्योंकि अब तक बीजिंग इस्लामाबाद का प्रमुख रणनीतिक सहयोगी रहा है।
अफगान अधिकारियों के अनुसार, बुधवार को तड़के पाकिस्तानी बलों ने हल्के और भारी हथियारों से हमला किया। इसमें 12 अफगान नागरिक मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। तालिबान प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सेना ने बिना उकसावे के हमला किया।
अफगान सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने स्पिन बोलदक और शोराबक के बीच वाले इलाके में हवाई हमला भी किया, जिससे कई घरों को नुकसान पहुंचा। वहीं पाकिस्तानी मीडिया ने दावा किया कि इस कार्रवाई में 10 से 15 तालिबान लड़ाके मारे गए। दोनों देशों की सीमावर्ती बस्तियों में दहशत का माहौल है और लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित इलाकों की ओर जा रहे हैं।
तनावपूर्ण हालात के बीच रूस ने एक संतुलित बयान जारी किया है। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा कि मॉस्को दोनों देशों से संयम बरतने और राजनीतिक समाधान तलाशने की अपील करता है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान दोनों हमारे मित्र देश हैं और हमें उम्मीद है कि आतंकवाद-रोधी और क्षेत्रीय सुरक्षा पर संवाद जल्द फिर शुरू होगा।
रूस का यह बयान ऐसे समय में आया है जब चीन के समर्थन से तालिबान सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आत्मविश्वास में दिख रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि इस पूरे घटनाक्रम से भारत के लिए भी नई रणनीतिक संभावनाएं खुल सकती हैं। चीन का पाकिस्तान से दूरी बनाना और अफगानिस्तान का रुख बदलना दक्षिण एशिया की शक्ति-संतुलन की तस्वीर को प्रभावित कर सकता है।
फिलहाल, अफगानिस्तान ने संकेत दिया है कि वह अपने सीमावर्ती क्षेत्रों की रक्षा किसी भी कीमत पर करेगा। वहीं, पाकिस्तान की ओर से अभी तक चीन के इस बयान पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
We Pursue no adversarial relationships against any country
— Hurriyat Radio English (@HurriyatEN) October 15, 2025
Mohammad Naeem, Deputy Minister of Finance and Administration at the Afghan Ministry of Foreign Affairs, held a meeting with Zhao Xing, the Ambassador of the People s Republic of China.
As per Mr. Naeem, the Ministry… pic.twitter.com/4xc50hC2PH
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