भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन की तैयारियां तेजी से चल रही हैं। इसरो प्रमुख वी. नारायणन ने बताया है कि मिशन से जुड़ा लगभग 90 प्रतिशत विकास कार्य पूरा हो चुका है।
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, और इसके लिए कई जटिल तकनीकों को विकसित करना पड़ा है। यह मिशन बहुत अच्छी तरह आगे बढ़ रहा है।
इस मिशन के लिए रॉकेट को मानव उड़ान के लिए उपयुक्त बनाना था, ऑर्बिटल मॉड्यूल तैयार करना था, और पर्यावरण नियंत्रण व सुरक्षा प्रणाली विकसित करनी थी। इसके अलावा, क्रू एस्केप सिस्टम, पैराशूट सिस्टम और अन्य मानव-संबंधित तकनीकें भी बनानी पड़ीं।
इसरो प्रमुख ने कहा कि अब तीन बिना मानव वाले (अनक्रूड) मिशनों को पूरा करना बाकी है। इन मिशनों के सफल होने के बाद ही अंतरिक्षयात्रियों को भेजा जाएगा।
पहले अनक्रूड मिशन में व्योममित्र नाम की मानवाकृति रोबोट को भेजा जाएगा। इसरो का लक्ष्य 2027 की शुरुआत में मानव मिशन भेजना है।
इस मिशन में रॉकेट को 170 किलोमीटर से अधिक की ऊंचाई तक ले जाना शामिल है, जिसके बाद क्रू मॉड्यूल 400 किलोमीटर तक पहुंचेगा। वापसी के दौरान, सात पैराशूट समुद्र में सुरक्षित उतराई सुनिश्चित करते हैं।
एक परीक्षण में मॉड्यूल को वायु सेना के 3 किलोमीटर दूर स्थित हेलीकॉप्टर से गिराया गया, इसके पैराशूट स्वचालित रूप से तैनात हो गए, और नौसेना द्वारा सफलतापूर्वक उसे पुनः प्राप्त कर लिया गया। आगे और भी प्रयोग होने हैं।
24 अगस्त 2025 को इसरो ने गगनयान कार्यक्रम के तहत पहला इंटीग्रेटेड एयर ड्रॉप टेस्ट सफलतापूर्वक पूरा किया था। यह परीक्षण श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में हुआ।
इस टेस्ट में यह परखा गया कि अगर अंतरिक्ष यान को पृथ्वी पर उतारना हो तो नौ पैराशूट एक साथ किस तरह काम करेंगे, ताकि क्रू मॉड्यूल सुरक्षित तरीके से समुद्र में उतर सके।
इसरो प्रमुख वी नारायणन ने बताया कि एक सिम्युलेटेड मॉड्यूल को हेलिकॉप्टर से करीब तीन किमी ऊंचाई तक ले जाकर छोड़ा गया, और नौ पैराशूटों की मदद से उसे सफलतापूर्वक सुरक्षित लैंड कराया गया।
इसरो की इस बड़ी उपलब्धि से यह स्पष्ट है कि भारत अब मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में निर्णायक कदम बढ़ा चुका है। सबकुछ योजना के अनुसार रहा, तो 2027 की शुरुआत में भारत का अपना पहला मानव मिशन अंतरिक्ष में उड़ान भरते देखा जाएगा।
VIDEO | Bengaluru: After attending curtain raiser event of ‘Emerging Science, Technology, and Innovation’ conclave, ISRO Chairman Dr. V Narayanan says, “The mission involves taking the rocket to more than 170 km, after which the crew module’s propulsion will reach 400 km. During… pic.twitter.com/43iwIZug3J
— Press Trust of India (@PTI_News) October 23, 2025
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