एडिलेड ओवल में विराट कोहली ने दर्शकों की ओर देखा, उनके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान थी। उन्होंने अपना दाहिना हाथ उठाया और चुपचाप अलविदा कहा। न गुस्सा था, न निराशा, बस एक गहरी शांति। यह दृश्य ऐसा था मानो कोहली कह रहे हों, अब शायद फिर यहां नहीं मिलेंगे ।
यह वही एडिलेड है, जहां कोहली ने अपनी कुछ सबसे यादगार पारियां खेली हैं। यह वही मैदान है जहां उन्होंने विदेशी बल्लेबाजों में सबसे अधिक 975 रन (टेस्ट+वनडे+टी20) बनाए हैं। यहां की मिट्टी, यहां की हवा जैसे उनके नाम से जुड़ी रही है। लेकिन इस बार सब कुछ अलग था।
एडिलेड में सबसे ज्यादा रन बनाने वालों की सूची में शुरुआती 15 बल्लेबाजों में सिर्फ एक विदेशी खिलाड़ी का नाम है - विराट कोहली। कोहली को एडिलेड में अपने 1000 रन पूरे करने के लिए सिर्फ 25 रनों की जरूरत थी और वह एडिलेड ओवल में हजार रन बनाने वाले पहले गैर-ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज बन जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
लगातार दूसरे मैच में शून्य पर आउट। कोहली के करियर में ऐसा पहली बार हुआ और शायद इसी वजह से जब उन्होंने मैदान छोड़ते हुए भीड़ की ओर हाथ हिलाया, तो वह इशारा सिर्फ एक आउट का नहीं, बल्कि एक युग के ढलने जैसा महसूस हुआ।
एडिलेड की भीड़ खड़ी होकर तालियां बजा रही थी। वो तालियां आक्रोश की नहीं, बल्कि सम्मान और स्नेह की थीं - उस खिलाड़ी के लिए जिसने भारतीय क्रिकेट को एक नई ऊंचाई दी। पर कोहली की आंखों में झलक रही थी एक थकान, जो सिर्फ रन या फॉर्म की नहीं थी, बल्कि उस सफर की थी जिसमें उन्होंने सब कुछ झोंक दिया।
सोशल मीडिया पर तुरंत हलचल मच गई। हर जगह एक ही सवाल - क्या यह कोहली का इशारा था? क्या अब वनडे क्रिकेट से भी विदाई का वक्त करीब है? लोग उनके लगातार दो डक की नहीं, बल्कि उस शांत हाथ हिलाने की बात कर रहे थे जिसने करोड़ों दिलों को छू लिया।
सात महीने के लंबे ब्रेक के बाद कोहली की अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में यह वापसी आसान नहीं रही। वह टी20 और टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं। पहले वनडे में पर्थ में वो 8 गेंदों में आउट हुए। तीन दिन बाद एडिलेड में जेवियर बार्टलेट ने उन्हें एलबीडब्ल्यू कर दिया।
अंपायर की उंगली ऊपर उठी, कोहली ने रोहित शर्मा से कुछ पल बात की और बिना रिव्यू लिए लौट गए। बॉल ट्रैकर ने दिखाया - गेंद सीधी मिडिल स्टंप से टकराती हुई। कोहली जब मैदान से लौटे, तो भीड़ खामोश थी, लेकिन तालियां अब भी बज रही थीं। वह तालियां विदाई जैसी थीं - सम्मान, कृतज्ञता और थोड़ी सी उदासी से भरी हुई।
क्या यह एडिलेड में विराट कोहली की आखिरी झलक थी? शायद। लेकिन अगर यह सच भी है, तो यह अंत नहीं - बल्कि एक महान कहानी का शांत, गरिमामय विराम है।
एडिलेड ओवल हमेशा से विराट कोहली के करियर का खास मैदान रहा है। जनवरी 2012 में उन्होंने यहीं चौथे टेस्ट में 116 रनों की संयमित पारी खेलकर दुनिया को बताया कि वह रेड-बॉल क्रिकेट के सच्चे सितारे हैं। 2014-15 की बॉर्डर-गावस्कर सीरीज में उनके 115 और 141 रनों के दो शतकों ने साबित कर दिया कि कोहली किसी भी मैच और उसके रुख को बदलने की क्षमता रखते हैं। व्हाइट-बॉल क्रिकेट में भी कोहली ने एडिलेड में यादगार प्रदर्शन किए। 2015 वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ उनकी पारी (107 रन) आज भी फैन्स की यादों में ताजा है। लेकिन इस प्रतिष्ठित मैदान पर उनकी संभावित अंतिम उपस्थिति कुछ अलग थी - महज 4 गेंदों में उनका सफर खत्म हो गया।
A tough day for the King of Cricket 👑@imVkohli waved goodbye to the Adelaide crowd 🏏💬#AUSvIND 👉 2nd ODI | LIVE NOW 👉 https://t.co/dfQTtniylt pic.twitter.com/yAG1uQFPA8
— Star Sports (@StarSportsIndia) October 23, 2025
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