NHM कर्मचारियों का अनूठा प्रदर्शन: कहीं पकौड़े तले, तो कहीं लोकनृत्य से जताया विरोध
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रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के संविदा कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल आज 17वें दिन भी जारी रही। सरकार द्वारा नो-वर्क, नो-पेमेंट के नोटिस और काम पर न लौटने पर बर्खास्तगी के अल्टीमेटम से नाराज होकर कर्मचारियों ने अपनी 10 सूत्रीय मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन और तेज कर दिया है।

बुधवार को प्रदेश के लगभग 16000 NHM कर्मचारी अलग-अलग जिलों में अनोखे ढंग से प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहीं पकौड़े बेचे, तो कहीं आदिवासी परिधान पहनकर लोकनृत्य करके विरोध जताया।

बलौदाबाजार के दशहरा मैदान में संविदा स्वास्थ्य कर्मचारियों ने सड़क किनारे तंबू लगाकर पकौड़े तले और मात्र 5 रुपये प्रति प्लेट की दर से बेचते हुए सरकार पर नाराजगी जताई। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मोदी की गारंटी के तहत कर्मचारियों को नियमित करने का वादा किया था, लेकिन दो साल बीत जाने के बावजूद वादा अधूरा है। कर्मचारियों ने व्यंग्य करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने पकौड़ा बेचने को भी रोजगार बताया था, इसलिए अब वे उसी तरीके से विरोध जता रहे हैं। उनका आरोप है कि सरकार मुफ्त राशन और नकद बांटने में तो उदार है, लेकिन मरीजों की सेवा करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को उनका हक देने में टालमटोल कर रही है।

इधर सुकमा में NHM कर्मचारियों ने आदिवासी परिधान पहनकर धरना स्थल पर लोकनृत्य किया। कर्मचारियों ने कहा कि सुकमा जैसे संवेदनशील जिले में सेवाएं देने के बावजूद सरकार ने उन्हें उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। पिछले 20 महीनों में 160 आवेदन और ज्ञापन सौंपने के बाद भी उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया।

लगातार चल रही इस हड़ताल का असर अब स्वास्थ्य सेवाओं पर साफ दिखने लगा है। उप स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पताल तक मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

कर्मचारियों का कहना है कि चुनाव से पहले नियमित करने का वादा किया गया था, लेकिन अब वेतन रोककर बर्खास्तगी की धमकी दी जा रही है। सरकार विज्ञापन और प्रचार पर करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन संविदा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बजट नहीं निकाल पा रही है। मध्यप्रदेश में संविदा कर्मियों को लाभ दिया जा रहा है, तो छत्तीसगढ़ में क्यों नहीं।

कर्मचारी संगठनों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर लिखित निर्णय नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और उग्र किया जाएगा।

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