गुरुग्राम में बारिश का कहर: 10 गुना किराया और कमर तक पानी, लोग भूले नहीं पाएंगे वो रात!
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गुरुग्राम, मिलेनियम सिटी के निवासी 1 सितंबर की भारी बारिश की रात को शायद ही कभी भूल पाएंगे। शहर में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी जिसे लोग जीवन भर याद रखेंगे।

सोशल मीडिया पर 7 किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम, कमर तक पानी में डूबी सड़कें और बंद पड़ी गाड़ियां, #Jalgaon जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे। हाईराइज बिल्डिंगों की चमक इन नजारों के आगे फीकी पड़ गई थी। घर से बाहर फंसे लोग सिर्फ पानी में छपाक-छई की आवाजें सुन रहे थे।

हालांकि इस आपदा भरे मौसम में कुछ कैब और ऑटो चालकों ने इंसानियत दिखाई, लेकिन कई लोगों को 6 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए 600 रुपये तक देने पड़े।

एक कॉरपोरेट ऑफिस में काम करने वाले शिवम को हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से अपने घर पहुंचने के लिए 600 रुपये खर्च करने पड़े। सड़कों पर पानी भरने के कारण कैब और ऑटो मिलना मुश्किल था, इसलिए उन्हें मुंहमांगी रकम देनी पड़ी। शिवम ने कहा कि उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे वे प्रीमियम चार्ज पर बोट राइड कर रहे हों। साइबर सिटी और गोल्फ कोर्स रोड के पास कई लोगों को कमर तक पानी में चलते हुए देखा गया। वे अपने लैपटॉप बैग और ब्रीफकेस को पानी से बचाने के लिए सिर पर रखकर चल रहे थे।

सेक्टर 5 की दिव्या अनन्या के लिए बारिश एक न भूलने वाली मुसीबत लेकर आई। उनके पति को अपनी बाइक शीतला माता मंदिर के पास सड़क के बीच में छोड़नी पड़ी, क्योंकि पानी से उसका इंजन बंद हो गया था। जब वह दोबारा बाइक लेने गईं, तो वह पानी में डूब चुकी थी। लोगों ने उन्हें बाइक के लिए जान जोखिम में न डालने की सलाह दी और पानी कम होने के लिए अगले दिन का इंतजार करने को कहा।

मंगलवार को दीपिका नारायण भारद्वाज की कहानी भी वायरल हुई, जो सोमवार की बारिश में प्रीतमपुरा मेट्रो स्टेशन से सेक्टर 46 स्थित अपने घर जा रही थीं। उन्होंने रैपिडो से कैब बुक की थी, जो दिल्ली-जयपुर हाइवे पर लंबे जाम में सात घंटे फंसी रही। कैब के ड्राइवर सूरज मौर्य ने उन्हें लंबे इंतजार के बाद भी घर तक पहुंचाया और इसके लिए अतिरिक्त पैसे भी नहीं लिए। दीपिका को घर छोड़ने के बाद सूरज मौर्य रात लगभग 2 बजे अपने घर पहुंचे।

सेक्टर 10ए की शिवांगी झा को हुडा सिटी सेंटर मेट्रो स्टेशन से घर पहुंचने में पांच घंटे लगे। तीन घंटे तक उन्होंने कैब बुक करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने उनकी रिक्वेस्ट स्वीकार नहीं की। 8 किलोमीटर के लिए 800 रुपये देने की पेशकश के बाद भी कोई सवारी नहीं मिली। अंत में उनके परिवार वाले किसी तरह मेट्रो स्टेशन पहुंचे और उन्हें वापस ले गए।

इस आपदा की घड़ी में कुछ लोगों ने समझदारी दिखाई। ऑटोवाले पानी में गाड़ी चलाने को तैयार नहीं थे और कैब वाले भी भाव नहीं दे रहे थे। ऐसे में कुछ युवाओं ने एक मिनी-ट्रक किराए पर लिया और उससे अपने-अपने घर गए। उनके इस आइडिया की सोशल मीडिया पर खूब तारीफ हुई। एक यूजर ने लिखा कि जब आपके पास शानदार लेगरूम वाला ट्रक हो तो कैब की क्या जरूरत है?

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