1400 गांव जलमग्न, लाखों बेघर, फसलें नष्ट, 30 से ज़्यादा मौतें!
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पंजाब में इस साल बरसात ने तबाही मचा दी है। पहाड़ों से उतरता पानी और लगातार बारिश ने विकराल रूप धारण कर लिया है। खेत, घर और सड़कें, सब कुछ पानी में डूबा हुआ है। हवा में नमी के साथ डर का माहौल है। राज्य सरकार ने मजबूरन पूरे पंजाब को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है।

मुख्य सचिव के.ए.पी. सिन्हा ने कहा, हमने 40 सालों में ऐसी बाढ़ नहीं देखी। यह बाढ़ 1988 की भीषण बाढ़ से भी ज्यादा खतरनाक है।

पंजाब के 23 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। लगभग 1400 गांव पानी में डूब चुके हैं। गुरदासपुर में 324 और अमृतसर में 135 गांव पूरी तरह से प्रभावित हैं। गुरदासपुर में 1.45 लाख लोग संकट में हैं, घरों में पानी कमर तक भर गया है। अमृतसर में 1.17 लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। सड़कें टूट चुकी हैं, और नावें अब जीवनरक्षक बन गई हैं। बच्चे, बुजुर्ग और किसान, इस आफत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है, और 3 अभी भी लापता हैं। पठानकोट, लुधियाना, अमृतसर, बरनाला और होशियारपुर में मौतों का सिलसिला जारी है। हर संख्या के पीछे एक परिवार का टूटा हुआ सपना है।

घग्गर नदी का जलस्तर 7 फीट तक पहुंच चुका है, जबकि खतरे का निशान 8 फीट है। मोहाली, नंगल और चमकौर साहिब में प्रशासन अलर्ट पर है। सतलुज और ब्यास के किनारे बसे गांव भी पानी के खतरे में हैं।

जालंधर के बस्ती शेख में एक घर ढह गया। सौभाग्य से कोई जानी नुकसान नहीं हुआ, लेकिन धान और मक्का की हजारों एकड़ फसल पानी में समा गई। किसान अब दोहरी मार झेल रहे हैं - घर उजड़ा और फसल बर्बाद।

मुख्य सचिव ने सख्त कदम उठाए हैं - छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, जिला मजिस्ट्रेटों को आपात आदेश जारी करने का अधिकार दिया गया है, और बिजली, पानी और सड़क सेवाओं को बहाल करने का प्रयास किया जा रहा है।

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ लगातार बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। सेना मोर्चा संभाल रही है और राहत शिविरों में मेडिकल टीमें तैनात की गई हैं।

गुरदासपुर के मंड क्षेत्र में 32 किलोमीटर का इलाका पूरी तरह से पानी में डूब चुका है। नावों के सहारे लोग घरों से जरूरी सामान निकाल रहे हैं। बचाव दल और स्थानीय लोग मिलकर राहत पहुंचाने में लगे हुए हैं।

पूरा राज्य आपदा प्रभावित घोषित होने के बाद सबसे बड़ी चुनौती पुनर्वास की है। लाखों लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाना, भोजन और स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना आसान नहीं है। विशेषज्ञ कहते हैं कि पंजाब को दीर्घकालिक बाढ़ प्रबंधन योजना की सख्त जरूरत है।

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