जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बैठक के समापन के बाद बताया कि नई जीएसटी दरें 22 सितंबर से लागू हो जाएंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें परिषद के सभी सदस्य उपस्थित थे।
लगभग 8 साल पुराने जीएसटी कर ढांचे में बड़े बदलावों पर 33 सदस्यीय समिति ने इस बैठक में चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से जीएसटी में सुधार की बात कही थी जिसके बाद सरकार ने जीएसटी की दो मुख्य दरें तय करने का प्रस्ताव रखा: 5% और 18%। साथ ही, शराब और तंबाकू जैसी विलासिता और हानिकारक वस्तुओं पर 40% का विशेष कर लगाने का प्रस्ताव भी था।
वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि जीएसटी दरें अब सरल होंगी। वर्तमान में अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं पर कई प्रकार की कर दरें लागू हैं, लेकिन अब इन्हें दो स्लैब में समेटा गया है। इस परिवर्तन का उद्देश्य कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाना है, जिससे व्यापारियों और आम जनता दोनों को लाभ होगा।
जीएसटी परिषद की यह 56वीं बैठक लगभग 10 घंटे 30 मिनट तक चली। केंद्र और राज्यों के वित्त मंत्रियों ने कई महत्वपूर्ण कर प्रस्तावों पर विचार किया।
सम्राट चौधरी ने बताया कि सभी राज्यों ने इस फैसले पर सहमति जताई है। यह सर्वसम्मति से लिया गया निर्णय है। सभी राज्यों ने जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने का समर्थन किया, उन्होंने कहा। इसका तात्पर्य है कि किसी भी राज्य ने इस प्रस्ताव का विरोध नहीं किया।
गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने भी कहा कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने पर सबकी सहमति बनी है।
हालांकि, इस निर्णय से केंद्र और राज्यों दोनों के राजस्व पर प्रभाव पड़ेगा। पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि दरों में बदलाव के कारण कुल 47,700 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होगा, जिसे केंद्र और राज्यों दोनों को साझा रूप से महसूस करना होगा।
उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि शराब, तंबाकू और लग्जरी कार जैसी डिमेरिट गुड्स पर कर दरों पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। वर्तमान में इन पर 40% जीएसटी लगता है। उन्होंने कहा, 40 प्रतिशत टैक्स के ऊपर अतिरिक्त लेवी लगाने का निर्णय बाद में किया जाएगा। इसका अर्थ है कि इन उत्पादों की कीमतों में अभी कोई परिवर्तन नहीं होगा।
22 सितंबर के बाद नई दरें लागू होने पर बाजार में कुछ वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं, खासकर उन वस्तुओं की जो पहले 12% या 28% स्लैब में थीं। सरकार राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए डिमेरिट गुड्स पर अतिरिक्त कर लगाने पर विचार कर सकती है। इस निर्णय के साथ जीएसटी प्रणाली को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया है।
#WATCH दिल्ली: 56वीं GST काउंसिल की बैठक के बाद बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा, हम 8 घंटे बैठे और सभी की बातें सुनी गईं... pic.twitter.com/Uce7fW9bbh
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 3, 2025
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