लोकसभा में तय 120 घंटे की चर्चा में से सिर्फ 37 घंटे ही चर्चा हो पाई. इसका एक बड़ा हिस्सा ऑपरेशन सिंदूर पर बहस में बीता. ज्यादातर समय हंगामे में बर्बाद हुआ, जिससे कई विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के ही पारित हो गए.
सदन की कार्यवाही से नाराज़ दमन और दीव के निर्दलीय सांसद उमेश पटेल ने संसद भवन परिसर में बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन किया. उन्होंने मांग की कि सदन न चलने पर सांसदों का वेतन और अन्य लाभ रोका जाए.
उमेश पटेल ने कहा कि अगर सदन की कार्यवाही नहीं होती है, तो इसके खर्च का पैसा सांसदों की सैलरी से काटा जाना चाहिए. वे बैनर लेकर पहुंचे थे, जिस पर लिखा था - माफी मांगो, सत्ता पक्ष और विपक्ष माफी मांगो .
उन्होंने सरकार से मांग की कि सदन न चलने पर सांसदों को वेतन और अन्य लाभ न मिलें. उनका यह भी कहना था कि इस सत्र में सदन पर जो खर्च हुआ, वह सांसदों की जेब से वसूल किया जाना चाहिए, क्योंकि जब सदन ही नहीं चला, तो जनता क्यों इस खर्च का भुगतान करे.
आंकड़ों के अनुसार, लोकसभा में 83 घंटे काम नहीं हुआ, जिससे जनता के 124 करोड़ 50 लाख रुपए बर्बाद हो गए. राज्यसभा में 73 घंटे की बर्बादी से 80 करोड़़ रुपए का नुकसान हुआ. इस तरह, दोनों सदनों में मिलाकर 204 करोड़ 50 लाख रुपए बर्बाद हो गए.
संसद में पहले ज्यादा चर्चा होती थी, लेकिन धीरे-धीरे राजनीति बढ़ती गई, हंगामा बढ़ता गया और चर्चा घटती गई. भारत की पहली लोकसभा 14 सत्रों में 3784 घंटे तक चली थी. आंकड़ों पर नजर डालें तो 1974 तक लगातार बैठकों की संख्या हर लोकसभा कार्यकाल में 100 से ज्यादा रही. 1974 के बाद 2011 तक केवल 5 बार ऐसा हुआ कि सदन में बैठकों की संख्या 100 के पार गई.
पहली लोकसभा में 333 बिल पास हुए थे, जबकि 17वीं लोकसभा (2019-2024) में 222 बिल पास हुए. इस बार संसद में हंगामे के बीच जनता के लिए जरूरी बिल पास हुए हैं, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि बिना चर्चा के ही विधेयक पारित किए गए.
लगभग दो हफ्ते पहले भी उमेश पटेल ने ऐसी ही मांग उठाई थी. उन्होंने कहा था कि अगर सदन नहीं चलता है, तो सांसदों को भत्ता भी नहीं मिलना चाहिए. उनका कहना था कि सांसदों को भत्ता तो मिलता है, लेकिन जनता के काम नहीं हो पाते. उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता और विपक्ष दोनों की इगो के कारण सदन नहीं चलने दिया जा रहा है.
संसद का मानसून सत्र ज्यादातर समय हंगामे की भेंट चढ़ गया. लगातार गतिरोध के चलते कई महत्वपूर्ण विधेयक बिना पर्याप्त चर्चा के ही पारित कर दिए गए. लोकसभा में इस दौरान कुल 14 विधेयक पेश हुए, जिनमें से 12 पारित किए गए. इनमें से अधिकतर बिल बिना चर्चा के ही पास हो गए. एक विधेयक को सिलेक्ट कमेटी और एक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया. इनमें 130वां संशोधन विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक शामिल थे.
*आज हमने संसद के मकर द्वार पर मानसून सत्र की समाप्ति बिना जरूरी चर्चा के होने पर विरोध प्रदर्शन किया।
— Patel Umeshbhai Babubhai (@umeshbpatel78) August 21, 2025
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