मुर्शिदाबाद हिंसा: क्या ममता सरकार का झुकाव पीड़ितों के बजाय हमलावरों की ओर है?
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पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान भीषण हिंसा हुई है. इस हिंसा में करीब 3 लोगों के मारे जाने की खबर है.

जान बचाने के लिए लगभग 500 हिंदुओं ने मालदा जैसे दूसरे इलाकों में शरण ली है. कई और लोग पलायन करने की सोच रहे हैं. इस घटना को दंगा कहना गलत होगा क्योंकि यह एकतरफा हिंसा प्रतीत हो रही है.

यह वक्फ बिल विरोधियों द्वारा प्रायोजित हिंसा दिखती है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के वक्फ संशोधन अधिनियम को राज्य में लागू न करने की घोषणा के बाद भी हिंसक प्रदर्शन क्यों हुए? क्या उनके बयान से हिंसा करने वालों को नैतिक समर्थन मिला? क्या निर्दोष स्थानीय हिंदू निवासियों को निशाना बनाया गया?

बीजेपी का आरोप है कि ममता सरकार ने टीचर्स भर्ती घोटाले से ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया है.

देश भर में दंगों का इतिहास रहा है. उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और महाराष्ट्र में भी दंगे होते रहे हैं, जहां मुस्लिम आबादी वाले जिले भी हैं. लेकिन वक्फ बिल के खिलाफ ऐसी हिंसा अन्य राज्यों में नहीं हुई. तेलंगाना, कर्नाटक, और केरल में विरोध हुआ, पर हिंसा नहीं हुई. बंगाल के दंगाइयों को ऐसा लग रहा था कि सरकार उनके साथ है. मुर्शिदाबाद के तीनों सांसद टीएमसी से हैं, इसलिए सवाल उठना स्वाभाविक है.

उत्तर प्रदेश के आगरा में 50-60 हजार राजपूत करणी सेना के सदस्य हथियार लहराते हुए एकत्र हुए, लेकिन हिंसा नहीं हुई. पश्चिम बंगाल में जुमे की नमाज के बाद लोग सड़कों पर उतरे और हमला करना शुरू कर दिया. आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार ऐसा चाहती थी, इसलिए दंगाइयों को रोका नहीं गया.

ममता बनर्जी के वक्फ बोर्ड पर दिए गए बयान से दंगाइयों को हौसला मिला. उन्होंने कहा था कि बंगाल में ऐसा कुछ भी नहीं होगा . शायद इसका अर्थ यह निकाला गया कि बंगाल में कुछ भी करने पर कोई कार्रवाई नहीं होगी. ममता बनर्जी ने कहा, मैं जानती हूं कि आप वक्फ संशोधन कानून बनने से आहत हैं. भरोसा रखिए, बंगाल में कुछ भी ऐसा नहीं होगा जिससे समाज को बांटा जा सके. उन्होंने बांग्लादेश सीमावर्ती इलाकों की स्थिति पर भी टिप्पणी की और बंगाल में 33% अल्पसंख्यक आबादी का जिक्र किया.

भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि टीएमसी अपने वोट बैंक को खुश करने और लगभग 26,000 स्कूली शिक्षकों की नौकरी जाने के मामले से ध्यान हटाने के लिए जानबूझकर हिंसा करवा रही है.

मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा के बाद लगभग 500 हिंदू परिवार राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं. हिंसा एकतरफा थी, इसीलिए ऐसा हुआ है. जुमे की नमाज के बाद हजारों लोग सड़कों पर उतरे और नेशनल हाइवे 34 को ब्लॉक कर दिया. शमशेरगंज में भीड़ ने डाक बंगला मोड़ पर बवाल किया, पुलिस की गाड़ियों में आग लगाई, आउटपोस्ट में तोड़फोड़ की, दुकानों और दोपहिया वाहनों को नुकसान पहुंचाया, और रेलवे गेट पर पथराव किया.

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, विनाश का ऐसा मंजर सुती, शमशेरगंज और धुलियान में पहले कभी नहीं देखा गया था. सुरक्षाकर्मियों ने स्थानीय लोगों से घरों और संपत्तियों के सामने जमा पत्थरों और ईंटों को हटाने के लिए कहा. शमशेरगंज के जाफराबाद में उपद्रवियों ने पिता-पुत्र को घर से निकालकर उनकी हत्या कर दी. पीड़ितों ने बताया कि दंगाई भीड़ चुन-चुनकर हिंदुओं की दुकानें और घरों पर हमले कर रही थी.

हाईकोर्ट के आदेश के बाद बीएसएफ सहित केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती हुई. पश्चिम बंगाल पुलिस के विफल रहने पर हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि एक बार फिर, ममता बनर्जी और पश्चिम बंगाल पुलिस राज्य के लोगों की सुरक्षा में नाकाम रही है.

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