सपा विधायक का विवादित बयान - भगवान श्राप देकर मुसलमानों को भस्म कर देते!
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समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक इंद्रजीत सरोज अपने एक बयान के कारण फिर से विवादों में घिर गए हैं। अपने पुराने बयान पर सफाई देने के दौरान उन्होंने एक नया विवादित बयान दे दिया।

सरोज ने कहा, अगर लुटेरे हमारे देश में आए थे, तो भगवान को श्राप दे देना चाहिए था ताकि मुसलमान भस्म हो जाते। इस बयान से उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है।

उन्होंने देवी-देवताओं की ताकत पर सवाल उठाते हुए यह टिप्पणी की और दावा किया कि उस समय देवी-देवता कमजोर थे। सरोज का यह बयान समाज में बवाल का कारण बन सकता है, खासकर जब वह सफाई देने के बजाय और ज्यादा भड़काऊ बातें कर रहे हैं।

मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज पहले भी कई बार अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहे हैं। इस बार उन्होंने कहा कि अगर भारतीय मंदिरों में शक्ति होती, तो विदेशी आक्रमणकारी जैसे मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी देश में नहीं आ पाते।

सरोज ने दावा किया कि देवी-देवताओं के पास उस समय पर्याप्त शक्ति नहीं थी। उनका यह बयान समाज के एक वर्ग को नाराज कर सकता है, क्योंकि उन्होंने भगवान और देवी-देवताओं पर प्रश्नचिन्ह लगाया है।

उन्होंने बाबरी मस्जिद विध्वंस और मुस्लिम आक्रमणकारियों पर भी टिप्पणियाँ कीं। इससे पहले, सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने बाबर के खिलाफ विवादित बयान दिया था।

इंद्रजीत सरोज ने यह भी कहा कि अगर शक्ति होती, तो भगवान सत्ता के मंदिर में विराजमान होते और हेलिकॉप्टर की सवारी नहीं करते।

अपने बयान में सरोज ने डॉ. भीमराव आंबेडकर को अपनी श्रद्धा का केंद्र बताते हुए कहा कि असली भगवान आंबेडकर हैं, और इसी नारे से वे पांच बार विधायक बने हैं।

राम के नारे को लेकर उन्होंने कहा कि राम का नारा लगाने से कुछ नहीं होगा, जय भीम का नारा लगाओ, तभी आगे बढ़ोगे।

सपा विधायक ने रामचरित मानस के रचनाकार तुलसीदास के खिलाफ भी विवादित बयान दिया। सरोज ने कहा कि तुलसीदास ने अपनी रचनाओं में नीच जाति के बारे में नकारात्मक टिप्पणियाँ की हैं। उनके अनुसार, तुलसीदास ने मुसलमानों के खिलाफ कुछ नहीं लिखा, क्योंकि उन्हें हिम्मत नहीं पड़ी थी।

सरोज के इन बयानों से एक बार फिर समाज में नाराजगी का माहौल बन सकता है, और पार्टी के भीतर भी इस पर विचार-विमर्श हो सकता है।

सरोज के इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर बहस हो रही है। कुछ लोग इसे उनके निजी विचार मान रहे हैं, तो दूसरी ओर यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि उन्होंने जानबूझकर समाज में विद्वेष फैलाने का प्रयास किया है।

ऐसे बयानों के बाद राजनीतिक माहौल और भी गरमाया हुआ है, और अब देखना यह है कि समाजवादी पार्टी इस पर किस तरह का रुख अपनाती है।

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