दिल्ली में क्लाउड सीडिंग शुरू, मंत्री सिरसा ने बताया कब होगी बारिश
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दिल्ली में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मंगलवार को क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया शुरू हो गई. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने क्लाउड सीडिंग के दूसरे ट्रायल की पुष्टि की है.

क्लाउड सीडिंग दिल्ली के बाहरी इलाकों बुराड़ी से शुरू हुई जो मयूर विहार तक जारी रही. मंत्री सिरसा ने यह भी बताया है कि मंगलवार को दो बार और इसका ट्रायल किया जाएगा.

इस क्लाउड सीडिंग का मकसद कृत्रिम वर्षा के माध्यम से हवा में मौजूद प्रदूषक तत्वों में कमी लाना है, जिससे दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में सुधार हो सके.

दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया. उन्होंने कहा, यह क्लाउड सीडिंग सेसना एयरक्राफ्ट के माध्यम से आईआईटी कानपुर ने की. एयरक्राफ्ट मेरठ की ओर से दिल्ली में दाखिल हुआ जिसमें खेकड़ा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग, मयूर विहार, सादकपुर और भोजपुर इन इलाकों में क्लाउड सीडिंग की गई.

उन्होंने बताया कि क्लाउड सीडिंग में आठ फ्लेयर्स को इस्तेमाल किया गया है. एक फ्लेयर दो से ढाई किलो की होती है जो दो से ढाई मिनट तक चलती है. इन फ्लेयर्स के ज़रिए बादलों में रसायनों का मिक्सचर छोड़ा गया है. आईआईटी कानपुर के मुताबिक, 15 से 20 फीसदी उसमें ह्यूमिडिटी थी. यह प्रक्रिया तकरीबन आधा घंटे चली.

कानपुर से दिल्ली पहुंचने और इस पूरी प्रक्रिया में तकरीबन डेढ़ घंटे लगे और अब विमान मेरठ पहुंचा है. इस विमान से इस ट्रायल का दूसरा और तीसरा चरण भी आज ही शुरू होगा.

आईआईटी कानपुर का मानना है कि 15 मिनट से लेकर चार घंटे में कभी भी बरसात हो सकती है लेकिन यह बड़े स्तर की नहीं होगी, क्योंकि इसके अंदर नमी कम है. उम्मीद है कि आईआईटी कानपुर के रिजल्ट अच्छे रहेंगे.

मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा है कि अगर यह ट्रायल सफल रहे तो फरवरी तक के लिए दिल्ली में क्लाउड सीडिंग की योजना बनाई जाएगी.

आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार की क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं. आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा है कि बीजेपी सरकार और उनके मंत्री प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इंद्र देवता का भी क्रेडिट खा जाएंगे.

उन्होंने कहा, कल छठ पर हल्की-हल्की बारिश हुई है. अखबारों में लिखा था कि आज सरकार कृत्रिम वर्षा का पायलट कर सकती है. इन लोगों का कोई भरोसा नहीं है. भगवान इंद्र वर्षा कराएंगे और मंत्री जी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहेंगे कि मैंने बारिश कराई है क्योंकि इंद्र देवता तो बताने नहीं आएंगे.

क्लाउड सीडिंग , दो शब्द क्लाउड और सीडिंग से बना है. क्लाउड का अर्थ है- बादल और सीडिंग का मतलब है- बीज बोना. आसान शब्दों में कहें तो बादलों में बारिश के बीज बोने की प्रक्रिया को क्लाउड सीडिंग कहते हैं.

बीज के रूप में सिल्वर आयोडाइड, पोटैशियम क्लोराइड और सोडियम क्लोराइड जैसे पदार्थों का इस्तेमाल किया जाता है. इन पदार्थों को एयरक्राफ्ट आदि की मदद से बादलों में छिड़का जाता है.

ये पदार्थ बादल में मौजूद पानी की बूंदों को जमा देती हैं, जिसके बाद बर्फ़ के टुकड़े दूसरे टुकड़ों के साथ चिपक जाते हैं और बर्फ़ के गुच्छे बन जाते हैं. ये बर्फ के गुच्छे ज़मीन पर गिरते हैं.

क्लाउड सीडिंग का एक लंबा इतिहास है. अमेरिकी वैज्ञानिक विंसेंट जे शेफ़र ने क्लाउड सीडिंग का आविष्कार किया था. इसकी जड़ें 1940 के दशक में मिलती हैं.

आईआईटी कानपुर के प्रोफ़ेसर एसएन त्रिपाठी ने बताया, जहां कोई भी बादल नहीं है, वहां आप सीडिंग नहीं कर सकते. तो सबसे पहले आप देखते हैं कि बादल हैं या नहीं, अगर हैं तो किस ऊंचाई पर हैं, उनके और वातावरण की विशेषताएं क्या हैं. फिर पूर्वानुमान के सहारे या माप कर, ये पता लगाते हैं कि बादल में कितना पानी है.

इसी के बाद बादलों में उपयुक्त स्थानों पर एक विशेष तरह का केमिकल (साल्ट या साल्ट का मिश्रण) डालते हैं. ये केमिकल बादल के माइक्रोफिजिकल प्रोसेस (यानी बारिश के कण, बर्फ़) को तेज़ कर देता है. जिसके बाद बरसात के रूप में ये ज़मीन पर गिरती है.

बादलों को इलेक्ट्रिक शॉक देने की भी एक तकनीक है, जिसके इस्तेमाल से बारिश करवाई जा सकती है. इसमें ड्रोन तकनीक की मदद से बादलों को इलेक्ट्रिक शॉक दिया जाता है. यूएई ने इस तकनीक का इस्तेमाल कर साल 2021 में कृत्रिम वर्षा करवाई थी.

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