दिल्ली सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में कृत्रिम बारिश का पहला परीक्षण किया. अगले कुछ दिनों में इस तरह के और परीक्षण किए जाने की योजना है.
क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया 17 से 18 मिनट तक चली. कृत्रिम बारिश के लिए रसायनों का छिड़काव करने के लिए विमान ने कानपुर से दिल्ली के लिए उड़ान भरी और मेरठ की हवाई पट्टी पर उतरने से पहले बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग और मयूर विहार जैसे क्षेत्रों में रसायनों का छिड़काव किया.
सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी. इसने आठ झोंकों में रसायनों का छिड़काव किया. प्रत्येक झोंके में छिड़काव किये गए रसायन का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम था. परीक्षण आधे घंटे तक चला. रसायन का छिड़काव करने का प्रत्येक झोंका दो से ढाई मिनट का था. बादलों में 15 से 20 प्रतिशत आर्द्रता थी.
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-कानपुर का मानना है कि परीक्षण के 15 मिनट से चार घंटे के भीतर बारिश हो सकती है. हालांकि, इससे भारी बारिश की संभावना नहीं है क्योंकि आर्द्रता का स्तर केवल 15 से 20 प्रतिशत है.
दूसरा परीक्षण भी बाहरी दिल्ली में मंगलवार को ही किया गया. अगले कुछ दिनों में ऐसे 9 से 10 परीक्षणों की योजना है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सूचित किया है कि हवा की दिशा उत्तर की ओर है, इसलिए उस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को लक्षित किया जा रहा है.
सरकार का मानना है कि प्रदूषण कम करने के लिए यह एक बड़ा कदम है. अगर परीक्षण सफल रहे, तो फरवरी तक एक दीर्घकालिक योजना तैयार की जाएगी. उम्मीद है कि अगर यह सफल रहा, तो प्रदूषण कम करने की दिशा में यह भारत में पहला ऐसा वैज्ञानिक कदम होगा.
पहले चरण में जमीन से लगभग 4,000 फीट की ऊंचाई पर छह झोंकों में रसायन छोड़े गए और इनकी कुल अवधि करीब साढ़े अठारह मिनट रही. विमान ने दूसरी उड़ान दोपहर 3:55 बजे भरी और इस दौरान लगभग 5,000-6,000 फीट की ऊंचाई से आठ झोंकों में रसायनों का छिड़काव किया गया.
क्लाउड सीड़िंग में 3.21 करोड़ रुपये खर्च होंगे. दिल्ली मंत्रिमंडल ने सात मई को 3.21 करोड़ रुपये की कुल लागत से कृत्रिम बारिश के लिए पांच परीक्षण करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. परीक्षण के लिए डीजीसीए के अलावा 10 से अधिक केंद्रीय और राज्य विभागों से भी मंजूरी ली गई है.
कृत्रिम बारिश पर पर्यावरणविदों की राय है कि यह एक अल्पकालिक उपाय है. इससे प्रदूषण अस्थायी रूप से कम हो सकता है, लेकिन यह राष्ट्रीय राजधानी की बिगड़ती वायु गुणवत्ता के मूल कारणों का समाधान करने में विफल रहेगा.
*#WATCH | Delhi | The second trial of cloud seeding was conducted in Delhi by IIT Kanpur through Cessna Aircraft. The aircraft entered Delhi from the direction of Meerut. Khekra, Burari, North Karol Bagh, Mayur Vihar were covered under this. 8 flares were used in cloud seeding.… pic.twitter.com/xMby0wBLJh
— ANI (@ANI) October 28, 2025
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