EMI के जाल में फंसता भारत: मोबाइल, ब्यूटी ट्रीटमेंट, और शॉपिंग के लिए जमकर ले रहे हैं कर्ज
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भारतीयों में छोटी-मोटी जरूरतों के लिए भी ईएमआई (EMI) पर लोन लेने का चलन तेजी से बढ़ रहा है, खासकर छोटे शहरों में। यह प्रवृत्ति एक चिंता का विषय बनती जा रही है।

आईफोन की दीवानगी: आंकड़ों के अनुसार, भारत में बिकने वाले 25% आईफोन ईएमआई पर खरीदे जाते हैं, यह दर्शाता है कि लोग सिर्फ एक फोन खरीदने के लिए भी कर्ज लेने से नहीं हिचकिचाते।

शादी के लिए भी लोन : आजकल 26% जोड़े डेस्टिनेशन वेडिंग और विदेश में हनीमून मनाने के लिए लोन लेते हैं। परिवारों के पास पैसे होने के बावजूद, वे ईएमआई का सहारा लेते हैं।

ब्यूटी ट्रीटमेंट का क्रेज: महंगे ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए भी लोग ईएमआई पर कर्ज ले रहे हैं। लोन लेने वालों में 85% महिलाएं और 15% पुरुष शामिल हैं।

ऑनलाइन शॉपिंग में EMI का दबदबा: ई-कॉमर्स वेबसाइटों और एप्स पर होने वाली शॉपिंग में लगभग 40% खरीदारी ईएमआई आधारित होती है।

एप्स से आसानी से मिलता है लोन: पहले लोन सिर्फ बैंकों से मिलता था, लेकिन अब एप्स से भी आसानी से लोन मिल जाता है। एप से मिलने वाले लोन पर ब्याज दर 18 से 24 प्रतिशत तक होती है, जिससे मध्यवर्गीय लोग शौक पूरा करने के लिए कर्ज के जाल में फंस जाते हैं।

कर्ज का जाल: कई बार लोग एक लोन को चुकाने के लिए दूसरा लोन लेने को मजबूर हो जाते हैं। ईएमआई का यह मॉडल लोगों को कर्ज के जाल में फंसाता जा रहा है।

बचाव के उपाय: जानकारों का मानना है कि इस जाल से बचने के लिए लोगों को वित्तीय अनुशासन अपनाना चाहिए। अनावश्यक खरीदारी के लिए ईएमआई आधारित लोन नहीं लेने चाहिए। अगर छुट्टी या किसी लग्जरी के लिए कर्ज लेना भी है तो यह तय करें कि आप कितने वक्त में इस कर्ज को चुकाएंगे।

वित्तीय स्वास्थ्य का आकलन: विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी आमदनी का 30% से ज्यादा हिस्सा ईएमआई में देता है, तो इसका मतलब है कि उसकी वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है।

बचत की योजना जरूरी: अगर आप ईएमआई पर लोन लेने की सोच रहे हैं, तो पहले विचार करें कि क्या वाकई यह जरूरी है। अगर लोन ले चुके हैं, तो इसे जल्दी चुकाने की योजना बनाएं और उसी के अनुसार अपनी बचत को भी प्लान करें।

ईएमआई का इतिहास: ईएमआई की शुरुआत भौतिकतावाद के कारण हुई। यह परंपरा अमेरिका में शुरू हुई थी, जहां औद्योगिक क्रांति के बाद मशीनों का इस्तेमाल बढ़ने से लोग मशीनों को खरीदने के लिए ईएमआई पर कर्ज लेने लगे थे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ईएमआई का प्रचलन पूरी दुनिया में फैल गया।

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