पश्तून, बलूच, सिंधी और कश्मीरी कार्यकर्ताओं ने एकजुट होकर पाकिस्तान से जंग छेड़ने का ऐलान कर दिया है. अफगान यूनाइटेड फ्रंट की ऑनलाइन बैठक में यह निर्णय लिया गया. उनका कहना है कि वे मिलकर लड़ेंगे और पाकिस्तानी हुकूमत से अपनी जमीनें आजाद कराएंगे.
PoJK कार्यकर्ता अमजद अयूब मिर्जा के अनुसार, ये दबे-कुचले समुदाय अब पाकिस्तानी कब्जे से मुक्ति की लड़ाई लड़ेंगे. यह बैठक दक्षिण एशिया की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, क्योंकि ये समुदाय सालों से शोषण और दमन का शिकार रहे हैं.
अफगान संयुक्त मोर्चा द्वारा आयोजित इस बैठक में, पश्तून, बलूच, सिंधी और कश्मीरी नेताओं ने पाकिस्तानी कब्जे से अपने क्षेत्रों की आजादी के लिए संघर्ष जारी रखने की प्रतिबद्धता दोहराई.
वक्ताओं ने पाकिस्तानी सरकार पर शिक्षा, मीडिया और धार्मिक मदरसों को वैचारिक हेरफेर के औज़ार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. उन्होंने बताया कि जनरल ज़िया-उल-हक के शासनकाल में ख़ैबर पख़्तूनख्वा में मदरसों की संख्या में भारी वृद्धि हुई. ज़िया-उल-हक ने दावा किया कि ये मदरसे इस्लाम के किले बन जाएंगे और पश्तून राष्ट्रवाद को कमजोर करेंगे.
पश्तून प्रतिनिधियों का मानना है कि पश्तूनिस्तान की आईडिया और खैबर पख्तूनख्वा का नाम बदलना उनकी पहचान को तोड़ने की चाल थी, क्योंकि उनकी जड़ें अफगानिस्तान से जुड़ी हैं.
चर्चा के दौरान, आतंकवाद पर सवाल उठाते हुए प्रतिभागियों ने पूछा कि ऐसे हमले पंजाब को क्यों निशाना नहीं बनाते, जहां चरमपंथी समूहों के नेतृत्व और सैन्य अड्डे स्थित हैं.
सिंधी प्रतिनिधियों ने कहा कि उनके प्रांत को पाकिस्तानी सेना के नियंत्रण में लाया गया है, और किसी भी सिंधी को सेना प्रमुख, कोर कमांडर या किसी भी शीर्ष सैन्य पद पर नियुक्त नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सिंध पाकिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद में 70%, गैस में 72% और तेल में 52% का योगदान देता है, फिर भी इसका आर्थिक शोषण होता है. उन्होंने यह भी बताया कि सिंध में अरबों डॉलर मूल्य के लिग्नाइट कोयला भंडार हैं, फिर भी स्थानीय आबादी गरीब और राजनीतिक रूप से हाशिए पर है.
बलूच वक्ताओं ने कहा कि वे अलगाववादी नहीं, बल्कि स्वतंत्रता सेनानी हैं. उनका तर्क था कि बलूचिस्तान में पाकिस्तान की मौजूदगी एक कब्ज़ा है. उन्होंने प्रांत में चल रहे सैन्य अभियानों, जबरन गुमशुदगी और मानवाधिकारों के उल्लंघन की निंदा की.
कश्मीरी कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी शासन के अधीन सभी उत्पीड़ित राष्ट्रों (पश्तून, बलूच, सिंधी और कश्मीरी) का एक संयुक्त मोर्चा बनाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि इन सभी राष्ट्रों के सामने जो संकट है वह दिशा का संकट है और स्वतंत्रता के लिए एकता आवश्यक है.
बैठक एक संयुक्त घोषणा के साथ समाप्त हुई जिसमें कहा गया कि आत्मनिर्णय, सम्मान और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष तब तक जारी रहेगा जब तक सभी उत्पीड़ित राष्ट्र पाकिस्तानी प्रभुत्व से मुक्त नहीं हो जाते.
Press Release
— Dr Amjad Ayub Mirza (@AMirza86155555) October 25, 2025
Pashtun, Baloch, Sindhi, and Kashmiri Activists Unite to Continue Struggle for Freedom from Pakistani Occupation
October 25, 2025] — [london: Online]
In a powerful online meeting hosted by the Afghan United Front, leading Pashtun, Baloch, Sindhi, and Kashmiri… pic.twitter.com/jPmhbp9xqD
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