उम्र बढ़ी, पर कमाल वही: रोहित शर्मा ने दिखाया, टैलेंट की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती
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पांच साल में बस दूसरी बार रोहित शर्मा ने किसी वनडे पारी में 100 गेंदें खेलीं। यह एक संकेत था, उस मानसिकता का जो उन्होंने कप्तानी में अपनाई। उन्होंने खुद को टीम की जरूरतों के हिसाब से बदला। पहले की तरह शतक नहीं, पर भरोसे का सिलसिला जारी रहा। शुभमन गिल और विराट कोहली के बीच वह एक आक्रामक एंकर में बदल गए - जो शुरुआत में राह दिखाता है और फिर दूसरों के लिए मंच तैयार करता है। शायद यही वजह रही कि शतक घटे, लेकिन उनका महत्व बढ़ गया।

पिछले पांच सालों में यह उनका चौथा शतक है। सिडनी में बल्ला चलता गया, और लगा जैसे हर गेंद पर पुराना जादू लौट रहा हो। लखनऊ से सिडनी तक- धैर्य, सीख और आत्मविश्वास सब कुछ दिखा।

वर्ल्ड कप 2023 में लखनऊ की कठिन पिच पर इंग्लैंड के खिलाफ जो धैर्य रोहित ने दिखाया था, वही इस बार ऑस्ट्रेलिया में और निखर गया। पर्थ की उछाल ने परखा, एडिलेड की सीम ने चुनौती दी और सिडनी में उन्होंने सब सुलझा दिया। 73 रनों की जुझारू पारी के बाद यह 121 रनों की नॉटआउट पारी उस कहानी का अगला अध्याय थी जहां क्लास और शांति दोनों साथ चलते हैं। यह वही टेम्पलेट था जो उन्होंने 2013 से 2019 के बीच बनाया था - दो नई गेंदों के खिलाफ सतर्क शुरुआत, बीच के ओवरों में रन जोड़ना और फिर अंत में तूफानी अंदाज में खत्म करना। परिस्थितियां आसान नहीं थीं और लक्ष्य भी छोटा था, इसलिए विस्फोट की जरूरत नहीं थी। लेकिन उनके शॉट्स में वही पुराना आत्मविश्वास झलक रहा था।

मैच के बाद जब रोहित शर्मा ने एडम गिलक्रिस्ट और रवि शास्त्री से बात की, तो आवाज में एक अपनापन और हल्की उदासी थी, ऑस्ट्रेलिया से बहुत सी अच्छी-बुरी यादें जुड़ी हैं। शायद उनके मन में वही याद ताजा हुई जब इसी मैदान पर बतौर कप्तान उन्होंने खुद को टेस्ट टीम से बाहर कर लिया था और फिर दोबारा वह मौका नहीं मिला। टी20 से संन्यास के बाद अब उनके पास बस एक फॉर्मेट बचा है - वनडे। और यही सबसे कम खेला जाने वाला फॉर्मेट है।

सवाल उठते हैं कि क्या 40 की उम्र में, दो साल बाद होने वाले वनडे वर्ल्ड कप (2027, दक्षिण अफ्रीका) तक वे उसी लय में बने रह पाएंगे? इस सीरीज ने जवाब दिया - हां, रह पाएंगे क्योंकि कुछ खिलाड़ी समय से नहीं, अपने जुनून से खेलते हैं। 121 रनों की यह पारी याद दिलाती है कि रोहित ने अपनी क्लास कभी खोई नहीं। बस उसे टीम की जरूरतों के हिसाब से ढाला।

सेलेक्टरों और आलोचकों के लिए यह पारी एक सीधा संदेश है - मैं अब भी यहां हूं। अब अगला असाइनमेंट एक महीने बाद है। सात महीनों के लंबे ब्रेक के बाद यह थोड़ा स्थिर शेड्यूल उनके लिए वरदान साबित हो सकता है। रोहित शर्मा ने इस सीरीज में बस इतना साबित किया है - मुझे मत गिनिए कि मैंने कितने रन बनाए… देखिए, मैं अब भी कैसे खेलता हूं।

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