बेंगलुरु इंफ्रास्ट्रक्चर विवाद के बीच किरण मजूमदार ने डीके शिवकुमार से की मुलाकात
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बेंगलुरु की खराब सड़कों और कचरा प्रबंधन को लेकर हाल ही में हुए सार्वजनिक विवाद के बाद बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने मंगलवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार से उनके आवास पर मुलाकात की.

किरण मजूमदार-शॉ अपने भतीजे की शादी का न्योता देने के लिए शिवकुमार के आवास पर पहुंची थीं. सूत्रों के अनुसार, दोनों ने बेंगलुरु में कचरे के मुद्दे पर भी चर्चा की.

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने किरण मजूमदार-शॉ के साथ अपनी मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं. उन्होंने लिखा कि उन्होंने बेंगलुरु के विकास, इनोवेशन और कर्नाटक की विकास गाथा पर चर्चा की.

हाल ही में, किरण मजूमदार-शॉ ने सोशल मीडिया पर बेंगलुरु की खस्ताहाल सड़कों और कचरे से स्तब्ध एक विदेशी मेहमान के अनुभव का उल्लेख किया था. उन्होंने सरकार से निवेश को बढ़ावा देने के प्रति प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था और बेहतर सिविक मैनेजमेंट की मांग की थी.

किरण मजूमदार-शॉ ने यह भी कहा कि वे केवल कचरा हटाने और सड़कों की मरम्मत की मांग कर रही हैं, जो ग्रेटर बेंगलुरु अथॉरिटी (जीबीए) का काम है. उन्होंने मंत्रियों से जीबीए को जिम्मेदार ठहराने की अपील की.

उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने किरण मजूमदार-शॉ की आलोचना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ऐसी सार्वजनिक आलोचना राज्य और देश को नुकसान पहुंचाती है और समस्याओं को हल करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं.

किरण मजूमदार-शॉ ने उनकी टिप्पणी पर सहमति जताते हुए कहा कि यह सामूहिक प्रयास है जिसमें तत्परता और गुणवत्ता जरूरी है. उन्होंने कहा कि मिलकर यह दिखाया जा सकता है कि शहर को कैसे सुधारा जा सकता है.

कांग्रेस के मंत्रियों ने किरण मजूमदार-शॉ पर हमला बोलते हुए उन पर बीजेपी शासनकाल में चुप्पी पर सवाल उठाए. श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा कि सरकार फ़ीडबैक का स्वागत करती है, लेकिन उन्होंने सवाल उठाया कि किरण मजूमदार-शॉ जैसे उद्योगपति केंद्र सरकार के बारे में ऐसी चिंता क्यों नहीं जताते. कांग्रेस नेता मंसूर अली खान ने उनकी आलोचना को चुनिंदा बताया, जो केवल कर्नाटक पर केंद्रित है, महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों पर नहीं.

किरण मजूमदार-शॉ ने पलटवार करते हुए कहा कि उनका शहर और राज्य में दांव लगा है, इसलिए वे चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि यह राजनीति नहीं, नागरिक चिंता है.

किरण मजूमदार-शॉ की बात को जनता ने खुलकर समर्थन दिया. लोगों ने उनकी चिंताओं को दोहराया और खराब सड़कों और कूड़े की समस्या से जुड़े अपने अनुभव साझा किए.

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