दिल्ली हाईकोर्ट ने गूगल को सद्गुरु की झूठी गिरफ्तारी दिखाने वाले फर्जी विज्ञापनों को हटाने के लिए अपनी तकनीकी क्षमताओं का सक्रिय रूप से उपयोग करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह आदेश उन भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशन को रोकने के लिए दिया है, जो सद्गुरु की छवि को गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह निर्देश सद्गुरु और ईशा फाउंडेशन की शिकायत के बाद आया, जिसमें कहा गया था कि गूगल सद्गुरु के नाम, तस्वीर और वीडियो का लगातार गलत इस्तेमाल रोकने में असफल रहा है। इन भ्रामक AI डीपफेक विज्ञापनों में सद्गुरु की झूठी गिरफ्तारी और नकली निवेश योजनाओं को बढ़ावा देने वाले वीडियो शामिल हैं, जो यूट्यूब पर चल रहे थे।
जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने गूगल से कहा कि ऐसे विज्ञापनों पर रोक लगाई जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि गूगल को इस समस्या के समाधान के लिए अपने तकनीकी संसाधनों का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि कोई तकनीकी दिक्कत है, तो उसे हलफनामा दाखिल करके असमर्थता के कारण बताने चाहिए।
कोर्ट ने गूगल और ईशा फ़ाउंडेशन को एक स्थायी समाधान के लिए बातचीत करने और मिलकर काम करने का निर्देश दिया। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि ईशा फ़ाउंडेशन को भविष्य में इसी तरह की सामग्री को हटाने के लिए बार-बार अनुरोध न करना पड़े।
कोर्ट को बताया गया कि गूगल की नीति गिरफ्तारी या मौत जैसी नकारात्मक घटनाओं का इस्तेमाल करने वाले क्लिकबेट विज्ञापनों को प्रकाशित करने के खिलाफ है, लेकिन वह इसका पालन नहीं कर रहा है। मध्यस्थ नियमों के तहत, गूगल को तकनीक-आधारित उपाय लागू करना जरूरी है, जिसमें स्वचालित तरीके से ऐसी जानकारी को पहचाना जाए जो पहले हटाई जा चुकी हो।
इससे पहले, 30 मई 2025 को दिल्ली हाईकोर्ट ने सद्गुरु के व्यक्तित्व अधिकारों की सुरक्षा के लिए आदेश दिया था और गूगल को उल्लंघनकारी चैनलों को हटाने का निर्देश दिया था। इसके बावजूद यूट्यूब पर फर्जी विज्ञापनों में बढ़ोतरी हुई है।
ये विज्ञापन अनजान लोगों को ऐसी वेबसाइटों पर ले जाते हैं, जो व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा चुराने या घोटाले फैलाने के लिए बनी हैं। ईशा फाउंडेशन के मुताबिक, इन डीपफेक और भ्रामक विज्ञापनों से भ्रम और चिंता फैली है।
फाउंडेशन का कहना है कि हजारों स्वयंसेवक और लोग सद्गुरु की गिरफ्तारी के झूठे दावों की पुष्टि के लिए संपर्क कर रहे हैं। यह सुनियोजित गलत सूचना सद्गुरु के काम को नुकसान पहुंचा रही है और डिजिटल संवाद की अखंडता को खतरे में डाल रही है।
ईशा फाउंडेशन ऐसी धोखाधड़ी वाली सामग्री को हटाने और लोगों को जागरूक करने के लिए सक्रिय है। फाउंडेशन ने जनता से अपील की है कि वो सतर्क रहें और यूट्यूब पर ऐसे फर्जी विज्ञापनों या वीडियो की रिपोर्ट करें, जो झूठा दावा करते हैं कि सद्गुरु को गिरफ्तार किया गया है। इन्हें घोटाला या भ्रामक के रूप में चिह्नित करने का आग्रह भी किया गया है।
Beware of Fake Advertisements and Scams Using @SadhguruJV s Name and Image. Please report these ads as “Scam” if they appear on your feed.
— Isha Foundation (@ishafoundation) June 16, 2025
Fraudulent content including fake AI-generated videos, morphed images, and misleading financial investment advertisements have been… pic.twitter.com/m1jolbqkXu
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