दिल्ली की जहरीली हवा: मंत्रियों के लिए लाखों के एयर प्यूरीफायर, जनता बेहाल
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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार चिंताजनक बना हुआ है। बुधवार सुबह 9 बजे राजधानी का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 335 दर्ज किया गया, जो बहुत खराब श्रेणी में आता है।

आम आदमी पार्टी (आप) ने इस गंभीर स्थिति को लेकर भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है। आप का आरोप है कि दिल्लीवासी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, बच्चे और बुजुर्ग बीमार पड़ रहे हैं, लेकिन सरकार जनता की परवाह किए बिना अपने मंत्रियों के लिए महंगे एयर प्यूरीफायर खरीदने में व्यस्त है।

आप नेताओं का कहना है कि सरकार का ध्यान प्रदूषण नियंत्रण और राहत उपायों पर नहीं है, बल्कि दिखावे और सुविधाओं पर खर्च किया जा रहा है।

आप ने अपने X हैंडल पर ट्वीट करते हुए भाजपा सरकार को बेशर्म बताया है। पार्टी ने दिल्ली सचिवालय के लिए खरीदे गए 15 एयर प्यूरीफायर की तस्वीर भी साझा की, जिनकी कुल कीमत ₹5,45,175 है।

आप का कहना है कि एक एयर प्यूरीफायर की कीमत ₹36,345 है और लाखों रुपये सिर्फ मंत्रियों के लिए साफ हवा पर खर्च किए जा रहे हैं, जबकि आम आदमी जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर है।

पार्टी ने सरकार पर अक्षमता का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता को सिर्फ खोखले वादे मिल रहे हैं, जबकि मंत्रियों को दम घोंटू हवा से बचाने के लिए महंगे एयर प्यूरीफायर खरीदे जा रहे हैं।

आप ने सवाल उठाया है कि जब राजधानी की हवा लगातार बहुत खराब से गंभीर श्रेणी की ओर बढ़ रही है, तो सरकार ने अब तक न तो कोई इमरजेंसी एक्शन प्लान लागू किया है और न ही वादा किया गया आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) कराई है।

पार्टी का कहना है कि दिल्ली के लोगों को हवा में जहर झेलना पड़ रहा है जबकि सरकार सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस और फोटोशूट में व्यस्त है।

दिल्ली सचिवालय में खरीदे गए एयर प्यूरीफायर के बारे में जानकारी इस प्रकार है: प्रत्येक एयर प्यूरीफायर की कीमत ₹36,345 है, कुल 15 यूनिट खरीदे गए हैं, जिनका कुल खर्च ₹5,45,175 है। ये 220 वोल्ट पर चलते हैं और प्रत्येक यूनिट लगभग 1000 स्क्वायर फुट के क्षेत्र की हवा को साफ कर सकते हैं। इनमें PM2.5 की रियल-टाइम वैल्यू भी दिखाई जाएगी।

इससे पहले, आप नेता सौरभ भारद्वाज ने दिल्ली सरकार पर वायु गुणवत्ता डाटा छुपाने का आरोप लगाया था। उन्होंने एक वीडियो साझा करते हुए कहा था कि सरकारी आंकड़े प्रदूषण के सही स्तर को नहीं दिखा रहे हैं, जबकि निजी मॉनिटरिंग डिवाइस लगातार उच्च AQI दर्ज कर रहे हैं। उन्होंने इसे सरकार की पारदर्शिता और जिम्मेदारी की कमी बताया था।

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