गिल का दिल नहीं पसीजा, पैड पहनकर घूमते रहे जडेजा, बल्लेबाजी मिलती तो रच देते इतिहास!
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दिल्ली: रवींद्र जडेजा का टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए योगदान किसी से छिपा नहीं है। वेस्टइंडीज के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई टेस्ट सीरीज में उन्हें मैन ऑफ द सीरीज चुना गया, लेकिन एक खास उपलब्धि उनके हाथ से फिसल गई।

जडेजा 4,000 रन और 300 विकेट के जादुई क्लब में शामिल होने से चूक गए। दिल्ली टेस्ट के पांचवें दिन, टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को 7 विकेट से हराकर सीरीज 2-0 से अपने नाम की।

जडेजा सुबह से ड्रेसिंग रूम में तैयार थे, उन्हें उम्मीद थी कि पहले बल्लेबाजी करने भेजा जाएगा। वे इस खास क्लब में शामिल होने के लिए बेताब थे। लेकिन कप्तान शुभमन गिल ने ऐसा नहीं किया।

जैसे ही साई सुदर्शन आउट हुए, गिल खुद मैदान पर आए। जडेजा को बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला और अब उन्हें दिसंबर तक इंतजार करना होगा।

गिल ने अपने छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने के फैसले पर जोर दिया, जबकि जडेजा ऊपरी क्रम में बल्लेबाजी करना चाहते थे। गिल ने चौथा नंबर छोड़ने से मना कर दिया और न ही ध्रुव जुरेल का नंबर बदला गया।

इस वजह से जडेजा के बल्ले से वो रन नहीं आए जो वो चाहते थे। वह 4,000 रन के आंकड़े तक नहीं पहुंच पाए।

जडेजा ने बताया है कि छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने से उन्हें एक बेहतर बल्लेबाज की तरह सोचने में मदद मिली है। उन्होंने इसका श्रेय टीम के मुख्य कोच गौतम गंभीर को दिया है।

गंभीर के सुझाव के बाद जडेजा ने अपनी सोच में बदलाव किया और अपनी बल्लेबाजी में सुधार महसूस किया। उन्होंने कहा, पहले मैं आठवें या नौवें नंबर पर बल्लेबाजी करता था, जहां मानसिकता अलग होती है। अब छठे नंबर पर मैं एक शुद्ध बल्लेबाज की तरह सोचता हूँ, जिससे मेरा खेल बेहतर हुआ है।

जडेजा ने यह भी कहा कि वह टीम की जीत के लिए बल्ले और गेंद दोनों से योगदान देना चाहते हैं।

36 वर्षीय जडेजा ने वेस्टइंडीज़ के खिलाफ अहमदाबाद टेस्ट में आठ विकेट लिए और 104 रन बनाए, जिसके चलते वे मैन ऑफ द सीरीज चुने गए। उनका यह हरफनमौला प्रदर्शन टीम इंडिया के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा।

जडेजा का कहना है कि वे रिकॉर्ड्स को लेकर ज्यादा नहीं सोचते, बल्कि अपनी टीम को जीत दिलाने पर फोकस करते हैं। वे बल्ले और गेंद दोनों से अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं ताकि अपनी भूमिका को साबित कर सकें।

रवींद्र जडेजा भारतीय क्रिकेट के एक बेहतरीन ऑलराउंडर हैं, जिन्होंने टेस्ट क्रिकेट में अपनी बहुमुखी प्रतिभा से टीम को मजबूती दी है। हालांकि 4,000 रन और 300 विकेट का क्लब अभी उनका इंतजार कर रहा है, पर जडेजा की मानसिकता और समर्पण उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में मदद करेगा। उनके छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने का अनुभव उनके खेल को नए आयाम देने वाला साबित हुआ है।

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