इज़रायली बच्चे अब पढ़ेंगे भारतीय सैनिकों की शौर्य गाथा, तलवारों से मशीनगनों को हराया!
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इजराइल के हाइफा शहर ने शहीद भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की है। हाइफा के मेयर योना याहाव ने घोषणा की है कि शहर के स्कूलों की इतिहास की किताबों में सुधार किया जा रहा है। अब बच्चों को पढ़ाया जाएगा कि हाइफा को ओटोमन शासन से ब्रिटिशों ने नहीं, बल्कि भारतीय सैनिकों ने मुक्त कराया था।

मेयर याहाव ने बताया कि उन्हें यह जानकारी हिस्टोरिकल सोसायटी के एक सदस्य ने दी, जिसने रिसर्च करके यह साबित किया कि शहर को आजाद कराने वाले भारतीय सैनिक थे।

प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, उत्तरी इजराइल के तटीय शहर हाइफा पर ऑटोमन साम्राज्य, जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी की संयुक्त सेना का कब्जा था। भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश हुकूमत की ओर से लड़ते हुए शहर को आजाद कराने में अहम भूमिका निभाई और 44 सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी।

यह युद्ध कैवलरी यानी घुड़सवार सेना की आखिरी बड़ी लड़ाई के तौर पर जाना जाता है। भारतीय सैनिकों ने केवल भाले, तलवारों और घोड़ों के सहारे जर्मनी-तुर्की की मशीनगन से लैस सेना को धूल चटा दी थी।

हाइफा शहर को 23 सितंबर को भारतीय सेना ने आजाद कराया था। इसलिए इजरायल हर साल 23 सितंबर को हाइफा दिवस मनाता है। इस दिन तीन वीर भारतीय कैवलरी रेजिमेंट - मैसूर, हैदराबाद और जोधपुर लांसर को श्रद्धांजलि दी जाती है।

इजरायल की किताबों में भारतीय सैनिकों के बलिदान और बहादुरी के किस्से लिखे गए हैं। इन किस्सों को स्कूलों में बच्चों को बताया जाता है।

मेयर याहाव ने 2009 में कहा था कि हाइफा की इतिहास की किताबों में भारतीय सैनिकों द्वारा मुक्ति की कहानी शामिल की जाएगी। आज यह शहर के युवाओं के बीच एक प्रसिद्ध तथ्य है।

भारतीय सेना हर साल 23 सितंबर को हाइफा दिवस मनाती है, ताकि तीन बहादुर भारतीय घुड़सवार रेजिमेंटों को श्रद्धांजलि दी जा सके, जिन्होंने 1918 में हाइफा को आजाद कराने में मदद की थी।

इजराइल में भारत के राजदूत जे.पी. सिंह ने कहा कि भारतीय सैनिकों ने इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में ओटोमन सेना की हार हुई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 74,000 से ज्यादा भारतीय सैनिकों ने अपनी जान कुर्बान की, जिनमें से 4,000 से ज्यादा पश्चिम एशिया में शहीद हुए।

इजराइल में हाइफा, यरूशलेम और रामले में भारतीय सैनिकों के स्मारक मौजूद हैं। इन शहरों के कब्रिस्तानों में लगभग 900 भारतीय सैनिक दफन हैं। हाइफा में इतिहास की पाठ्यपुस्तकों में कक्षा 3 से 5 तक भारतीय सैनिकों द्वारा हाइफा की मुक्ति की कहानी पढ़ाई जाती है।

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