भारत ने नेपाल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत और नेपाल करीबी पड़ोसी, लोकतांत्रिक साझेदार और लंबे समय से विकास के सहयोगी हैं। भारत को उम्मीद है कि यह कदम हिमालयी राष्ट्र में शांति और स्थिरता लाने में मदद करेगा।
नेपाल में भारत के पूर्व राजदूत जयंत प्रसाद ने सुशीला कार्की के अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने पर कहा कि नेपाल को एक स्थिर नेतृत्व की तलाश थी। सुशीला कार्की स्वतंत्र और निष्पक्ष व्यक्ति के रूप में जानी जाती हैं। उन्हें विश्वास है कि कार्की चुनाव करवा पाएंगी।
प्रसाद ने 2013 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय के मुख्य न्यायाधीश ने सर्वदलीय सहमति के बाद सरकार की बागडोर अपने हाथों में ली थी और चुनाव कराए थे। उनका मानना है कि वर्तमान में गंभीर हालात में सुशीला कार्की का नेतृत्व स्थिति को स्थिर करेगा।
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत दोनों देशों और लोगों की भलाई और समृद्धि के लिए नेपाल के साथ मिलकर काम करना जारी रखेगा। मंत्रालय ने बयान में कहा कि भारत नेपाल में सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी नई अंतरिम सरकार का स्वागत करता है।
सुशीला कार्की को काठमांडू में राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शपथ दिलाई। कार्की इस पद पर पहुंचने वाली पहली महिला हैं। उनकी नियुक्ति केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद हुई है, जिन्होंने युवाओं के नेतृत्व वाले आंदोलन के दबाव में पद छोड़ा था।
सुशीला कार्की का चयन नेपाल की राजनीति में आम सहमति का एक दुर्लभ क्षण है। उन्हें जेन-जी नेताओं द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर वोटिंग के माध्यम से चुना गया। कार्की का लक्ष्य नेपाल में व्यवस्था बहाल करना, चुनाव कराना और विकास सुनिश्चित करना है। उन्हें न्यायपालिका की स्वतंत्रता और ईमानदारी के लिए सराहा जाता है।
सुशीला कार्की ने भारत के बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और 1978 में त्रिभुवन विश्वविद्यालय से विधि स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे 2009 में सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश बनीं और जुलाई 2016 में नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनीं। अपने कार्यकाल में उन्होंने हाई-प्रोफाइल भ्रष्टाचार के मामलों में कड़े फैसले दिए। 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था, जिसे राजनीतिक हस्तक्षेप माना गया।
#WATCH | Delhi | On Sushila Karki being sworn in as the interim Prime Minister of Nepal, former Indian Ambassador to Nepal, Jayant Prasad, says, Nepal was desperately in search of a stabilising influence, and I think this is a good development because Sushila Karki is known to… pic.twitter.com/shqkzo8lqi
— ANI (@ANI) September 12, 2025
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