मिजोरम को मिली पहली ट्रेन की सौगात, पीएम मोदी की एक्ट ईस्ट नीति से पूर्वांचल का विकास
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आजादी के बाद पहली बार मिजोरम की राजधानी आइजोल देश के रेल मानचित्र से जुड़ गई है। बइरबी-सायरंग रेल परियोजना के पूरा होने से पूर्वोत्तर भारत की चौथी राजधानी को रेल संपर्क प्राप्त हुआ है। यह परियोजना न केवल भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण है, बल्कि इंजीनियरिंग और निर्माण के लिहाज से भी भारतीय रेल के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 सितंबर को मिजोरम के दौरे पर रहेंगे, जहां वे कई योजनाओं की सौगात देंगे। मिजोरम के राज्यपाल जनरल (सेवानिवृत्त) वीके सिंह ने बताया कि पीएम मोदी पूर्वोत्तर के लिए लुक ईस्ट नहीं, बल्कि एक्ट ईस्ट नीति पर काम कर रहे हैं।

मिजोरम का भौगोलिक स्वरूप कठिन और पहाड़ियों वाला है। रेलवे ट्रैक बिछाने के लिए अनेक पुलों और सुरंगों की आवश्यकता थी। इस परियोजना में कुल 55 बड़े पुल और 87 छोटे पुल बनाए गए हैं। इसके अलावा 48 सुरंगों का निर्माण किया गया है, जिनकी कुल लंबाई 12.8 किलोमीटर से अधिक है।

परियोजना का सबसे उल्लेखनीय इंजीनियरिंग चमत्कार है पुल संख्या 196 का पियर P-4, जिसकी ऊँचाई 114 मीटर है। यह कुतुब मीनार से भी 42 मीटर ऊँचा है। यात्रियों और माल ढुलाई की सुगमता के लिए 5 रोड ओवरब्रिज (ROB) और 6 रोड अंडरब्रिज (RUB) का भी निर्माण किया गया है।

रेलवे इंजीनियरों ने अत्यंत चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में इस परियोजना को पूरा किया। नरम मिट्टी, बरसात से भरे मौसम और दुर्गम पहाड़ियों पर काम करना आसान नहीं था। ऑटोमैटिक टनलिंग मेथड जैसी आधुनिक तकनीकों, सुरक्षा उपायों और सटीक निर्माण योजना की मदद से सुरंगों की ड्रिलिंग, पुलों की नींव डालने और ऊँचाई पर विशाल संरचनाएँ खड़ी करने जैसे जटिल कार्य सफलतापूर्वक पूरे किए गए।

पीएम मोदी का उद्देश्य था कि हर राजधानी में ट्रेन पहुंचे। इसी कड़ी में मणिपुर में काम चल रहा है, मिजोरम में ट्रेन सेवा पहुंच गई है और नागालैंड में भी विस्तार किया जा रहा है। इसके अलावा, सिक्किम में भी ट्रेन सेवा को लेकर काम जोरों पर चल रहा है।

रेलवे विकास का प्रमुख आधार है। कहीं भी विकास तभी शुरू होता है, जब रेल कनेक्टिविटी स्थापित हो जाती है। यह कम लागत पर अधिक माल परिवहन की सुविधा देता है।

बइरबी-सायरंग रेल परियोजना की कुल लंबाई 51.38 किलोमीटर है। यह बइरबी से शुरू होकर आइजोल के निकट स्थित सायरंग तक जाती है। पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत लगभग ₹8071 करोड़ रुपये से अधिक है। इस परियोजना के तहत चार नए स्टेशन- हरतकी, कावनपुई, मुअलखांग और सायरंग का निर्माण किया गया है।

भारतीय रेल की यह परियोजना केवल मिजोरम तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत के लिए एक नई विकास गाथा लिखती है। बेहतर रेल संपर्क से इस क्षेत्र में निवेश की संभावनाएँ बढ़ेंगी और रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।

मिजोरम के किसान, बुनकर और स्थानीय उद्योग अब अपने उत्पादों को आसानी से देश के अन्य हिस्सों तक पहुँचा पाएंगे। रेल मार्ग से माल परिवहन तेज और सस्ता होगा, जिससे व्यापार और उद्योग को बल मिलेगा। सड़क मार्ग पर ज्यादा समय लेने वाली यात्रा अब ट्रेनों के जरिए कम समय में पूरी होगी। मिजोरम की प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक धरोहर तक पहुँच आसान होगी, जिससे पर्यटन उद्योग को गति मिलेगी।

पूर्वोत्तर क्षेत्र की तीन राजधानियाँ- गुवाहाटी (असम), ईटानगर (अरुणाचल प्रदेश) और अगरतला (त्रिपुरा)- पहले से ही रेल नेटवर्क से जुड़ी थीं। मई 2025 में सायरंग तक सफल ट्रायल रन के साथ आइजोल इस सूची में चौथी राजधानी बन गई।

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