अज्ञान नष्ट होने तक चिंता रहेगी: साइना नेहवाल के सवाल पर प्रेमानंद महाराज का अनमोल जवाब
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जीवन की ऊंचाइयों को छूने के बाद भी अगर मन में सवाल उठते हैं, तालियों की गड़गड़ाहट में भी शांति की तलाश रहती है, तो इंसान जवाब भक्ति में खोजता है। ऐसा ही एक पल तब आया जब बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने प्रेमानंद महाराज से अपनी उलझन साझा की।

ओलंपिक में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय शटलर साइना नेहवाल ने पूछा, मुझे मंदिर जाना अच्छा लगता है, मैं मंत्र जप भी करती हूं, फिर भी भविष्य की चिंता और चिंता क्यों घेर लेती है? इस प्रश्न पर प्रेमानंद महाराज ने ऐसा उत्तर दिया जो हर उस व्यक्ति का मार्गदर्शन करता है जो जीवन की दौड़ में शांति खो बैठा है।

साइना नेहवाल ने कहा, सर... मुझे मंदिर जाना बहुत पसंद है और मैं काफी मंत्र भी जपती हूं, लेकिन जब मेरे... जैसे इतनी बड़ी प्लेयर होने के बाद कुछ लोग इवेंट्स में बुलाते हैं, तो उस टाइम का न सोचकर... मैं थोड़ा स्ट्रेस में आ जाती हूं... कल क्या होगा... कल के इवेंट्स का क्या होगा।

प्रेमानंद महाराज ने उत्तर दिया, अज्ञान की वृद्धि जब तक नष्ट नहीं होगी तब तक वह चिंता फेंकती रहती है। आप व्यर्थ में... कभी भूत का चिंतन हो जाए। कभी भविष्य का चिंतन हो जाए। कहो बीती हुई बात का चिंतन होने लगे, कहो आगामी कल्पनात्मक चिंतन होने लगे। कहो आगामी ऐसा चिंतन आ जाए कि मैं डर जाऊं, मैं शोक में हो जाऊं... तो ये जो चिंतन है, इसी को बचाने के लिए नाम जप है।

उन्होंने आगे कहा, वर्तमान के समय को यदि हम भगवान के नाम में लगा दें तो हमारा भूत भी ठीक हो जाएगा और भविष्य भी ठीक हो जाएगा। जब हमारी बुद्धि मलिन हो जाती है तो निगेटिव ज्यादा फेंकने लगती है और जब बुद्धि ज्यादा निगेटिव हो जाती है तब वही डिप्रेशन में पहुंच जाता है। अगर हमारी बुद्धि पॉजिटिव फेंकती रहे तो हम बड़ी समस्या में होकर भी आनंदित रह सकते हैं... तो वह पॉजिटिव कहां से आएगा?

प्रेमानंद महाराज ने बताया, वह नाम जप से आएगा। अगर हम राधा राधा राधा कृष्ण कृष्ण राम राम... जो नाम प्रिय है... वह नाम जप करें और पवित्र भोजन पावें... तो हमारे अंदर जो चिंता है, जो उद्विग्नता है, यह फिर हमारे अंदर नहीं रहेगी। हर समय प्रसन्न रहेंगे। देखो जो भगवान के भक्तजन होते हैं, वे कैसी भी परिस्थिति हो प्रसन्न रहते हैं, क्योंकि उनकी निगेटिव सोच खत्म हो जाती है, पॉजिटिव ही रह जाती है...

अंत में उन्होंने कहा, ...तो पॉजिटिव में हर समय आनंद आता है... कि आदमी गाली दे रहा है... भगवान ने कृपा करके भेजा है इसको... मेरा कोई पाप है जिसका निवारण करने के लिए इसको निमित्त बनाया और यह गाली दे रहा है। उसके प्रति भी बुरा नहीं सोच रहे... भगवान ने इसको निमित्त बनाया और वह हमें गाली दे रहा है तो हमारे किसी पाप का मार्जन हो रहा है। राधा राधा राधा राधा राधा... वह शांत हो गया। बुरा न उसका सोचा और न मन के अंदर कोई निगेटिव बात आई। एक आनंद आ गया... तो हम हर परिस्थिति में आनंद को प्राप्त करें, इसलिए नाम जप करो।

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