त्योहारों से पहले ग्राहकों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कटौती का लाभ अब सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचेगा।
कंपनियों को अपने पुराने और बिना बिके माल पर नया एमआरपी (MRP) लिखना अनिवार्य होगा। इसका सीधा मतलब है कि यदि किसी उत्पाद पर टैक्स कम हुआ है तो उसकी कीमत भी उतनी ही घटानी पड़ेगी।
कंपनियां पुराने पैक पर नया दाम स्टिकर, स्टैंप या प्रिंट करके लिख सकती हैं। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि पुराना एमआरपी भी साफ दिखाई देना चाहिए। इसका अर्थ है कि कंपनियों को पुराने एमआरपी के साथ नया एमआरपी भी लिखना होगा।
उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि निर्माता, पैकर्स और इंपोर्टर्स 31 दिसंबर 2025 तक (या जब तक स्टॉक खत्म न हो) दाम संशोधित कर सकते हैं। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि कीमतों में बदलाव केवल टैक्स के अनुसार होगा। न तो कीमतें जरूरत से ज्यादा बढ़ाई जा सकेंगी और न ही मनमानी कमी दिखाई जा सकेगी।
यह भी बताया गया है कि कंपनियों को कम से कम दो बार अखबारों में विज्ञापन देना होगा। साथ ही डीलरों और सरकारी अधिकारियों को भी पूरी जानकारी देनी होगी।
सरकार ने क्यों उठाया यह कदम?
2017 में जीएसटी लागू होने के बाद कई कंपनियों पर यह आरोप लगा था कि उन्होंने टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया। तब नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी (NAA) ने कई कंपनियों पर टैक्स डिमांड भी लगाया था। इस बार सरकार ने शुरुआत से ही सख्ती बरतने का फैसला किया है।
अब इस नियम के लागू होने के बाद, कंपनियां ग्राहकों तक जीएसटी में होने वाले बदलाव का सीधा लाभ पहुंचाने के लिए मजबूर होंगी।
क्या होगा फायदा?
ग्राहकों को टैक्स कम होने का सीधा फायदा मिलेगा। कंपनियां बिना नुकसान के पुराने पैक बेच पाएंगी। बाजार में कीमतों को लेकर भ्रम नहीं होगा। पारदर्शिता बढ़ेगी और उपभोक्ता हित सुरक्षित रहेंगे।
कंपनियों को भी मिलेगी राहत
एफएमसीजी कंपनियों के पास पहले से ही पुराने जीएसटी रेट पर छपे पैक का बड़ा स्टॉक है। त्योहारों के सीजन के कारण इस बार उन्होंने ज्यादा उत्पादन किया है, खासकर गिफ्ट पैक्स में।
अगर इन्हें बिना बदलाव के बेचा जाता तो बाजार में दो अलग-अलग दाम वाले पैक आ सकते थे। इससे दुकानदार और ग्राहक दोनों भ्रमित हो जाते। अब सरकार ने कंपनियों को समय दिया है कि वे दिसंबर तक पुराने स्टॉक नए दामों के साथ बेच सकती हैं।
यह स्पष्ट है कि सरकार का यह कदम आम उपभोक्ता और कंपनियों दोनों के लिए फायदेमंद है। अब यदि जीएसटी दर घटेगी तो दुकानों पर मिलने वाले प्रोडक्ट्स की कीमत भी उसी अनुपात में घटेगी।
As per the new GST rates, manufacturers, packers, and importers can revise the MRP on unsold stock until 31st December 2025 (or until stock lasts).
— Pralhad Joshi (@JoshiPralhad) September 9, 2025
Revised prices must reflect GST changes only.
The old MRP must remain visible.
Any increase or decrease in price can only match… pic.twitter.com/HdwVTUqcQY
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