आप विधायक मेहराज मलिक की हिरासत पर बवाल, उमर अब्दुल्ला ने बताया बेगुनाहों को तंग करना
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जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक मेहराज मलिक को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद डोडा जिले में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।

जिला प्रशासन ने मलिक के खिलाफ कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहा कि वह सार्वजनिक शांति के लिए खतरा बने हुए थे। उन पर महिलाओं के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया है।

इस बीच, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आप विधायक की हिरासत को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि मलिक ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसके लिए पीएसए जैसा सख्त कानून लगाया जाए।

उमर अब्दुल्ला ने मीडिया से बातचीत में कहा, उन्होंने पीएसए के लायक कुछ नहीं किया है। मेरी तो कुछ भी समझ में नहीं आता है। इतना सख्त कानून आखिर उन्होंने क्या किया। कहीं पर हालात बिगड़ गए या फिर कहीं पर पथराव हुआ। उल्टा जिन लोगों ने यहां पर माहौल बिगाड़ा, जिन लोगों ने हमारे मजहबी जज्बातों के साथ खिलवाड़ किया, वहां पर तो कुछ भी नहीं हुआ। बेगुनाह लोगों को यहां पर तंग किया जा रहा है। थानों में बुलाया जा रहा है और पूछताछ की जा रही है। लेकिन जिन्होंने हमारे मजहबी जज्बातों के साथ खिलवाड़ किया, उनके साथ कुछ नहीं किया जा रहा है।

उमर ने आगे कहा, एमएलए साहब ने अगर कुछ गलती की हो तो उसे विधानसभा में सुधारा जा सकता है। पीएसए के जैसा कानून उन पर नहीं लगाया जाना चाहिए था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, मलिक की गिरफ्तारी के बाद डोडा के कहारा और मलिकपुरा इलाकों में काफी भीड़ जमा हो गई थी। प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।

प्रशासन का आरोप है कि मलिक ने सार्वजनिक व्यवस्था बहाल करने के प्रयासों के दौरान जनता, खासकर युवाओं को भड़काने की कोशिश की।

उन पर सरकारी अधिकारियों को खुलेआम धमकी देने और ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रशासन के खिलाफ जनता को भड़काने का भी आरोप है।

आप विधायक के खिलाफ तैयार किए गए डोजियर में डोडा पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ दर्ज एक एफआईआर का भी जिक्र है। यह एफआईआर डोडा सरकारी मेडिकल कॉलेज में डॉक्टर के रूप में काम करने वाली एक महिला की शिकायत पर दर्ज की गई थी।

डोजियर में दावा किया गया है कि कानूनी कार्रवाई के बावजूद मलिक ने अपना व्यवहार नहीं बदला। इसमें यह भी कहा गया है कि उनके कामों से युवाओं का कानून के शासन से मोहभंग होने की संभावना है।

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