अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में भारत और रूस के चीन के साथ बढ़ते संबंधों पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने कहा, लगता है हमने भारत और रूस को गहरे, अंधेरे चीन के हाथों खो दिया है. उम्मीद है कि इन तीनों का भविष्य लंबा और समृद्ध हो.
यह टिप्पणी तब आई है जब हाल ही में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने SCO (शंघाई सहयोग संगठन) शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी की. तीनों नेताओं की तियानजिन में एक साथ उपस्थिति और उनके सौहार्दपूर्ण संबंधों ने एक नए विश्व व्यवस्था के संकेत दिए, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति के टैरिफ युद्धों के बीच.
विशेषज्ञों ने इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना है, खासकर पिछले महीने भारत पर ट्रंप द्वारा 50% टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्ते में आई तनाव के बाद.
विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप के बयान पर प्रतिक्रिया मांगने पर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
SCO एक क्षेत्रीय मंच है जिसमें भारत, रूस, चीन और मध्य एशियाई देश शामिल हैं. इस शिखर सम्मेलन में मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की एक साथ वाली तस्वीर खूब चर्चा में रही. भारत ने इसमे संतुलित भूमिका निभाई, न रूस का पूरी तरह साथ छोड़ा और न ही चीन के खिलाफ खुलकर खड़ा हुआ.
अमेरिका को लगता है कि भारत और रूस धीरे-धीरे चीन के करीब आ रहे हैं. रूस तो पहले से ही यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण चीन पर निर्भर हो गया है. अब भारत का चीन और रूस दोनों के साथ एक ही मंच पर दिखाई देना, ट्रंप के लिए एक खतरे की घंटी के समान है.
भारत की विदेश नीति हमेशा से मल्टी-अलाइनमेंट पर टिकी रही है. भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ QUAD में है, रूस से रक्षा और ऊर्जा सहयोग बना हुआ है. चीन से तनावपूर्ण संबंध हैं (LAC विवाद), लेकिन मंचों पर बातचीत जारी रहती है. इसका मतलब है कि भारत एक तरफा झुकाव से बचता है और हर देश के साथ अपने हित अनुसार रिश्ते रखता है.
अमेरिका चाहता है कि भारत उसके साथ मिलकर चीन को संतुलित करे. लेकिन भारत का रूस से जुड़ाव और चीन के मंचों पर मौजूदगी, वाशिंगटन को खटकती है. ट्रंप का यह बयान अमेरिका की निराशा को दर्शाता है कि भारत पूरी तरह से अमेरिकी खेमे में नहीं गया है.
हालांकि ट्रंप का यह बयान भारत पर कोई सीधा असर नहीं डालेगा, लेकिन अमेरिका में भारत को लेकर नीतिगत बहस तेज होगी. रूस और चीन दोनों इस बयान को अपने हित में इस्तेमाल करेंगे, यह दिखाने के लिए कि भारत भी उनके करीब है. भारत को अब और भी बैलेंसिंग एक्ट करना होगा, ताकि अमेरिका नाराज न हो और रूस-चीन से भी टकराव न बढ़े.
डोनाल्ड ट्रंप का बयान भावनाओं से ज्यादा भू-राजनीतिक खेल है. भारत फिलहाल अमेरिका को खोना नहीं चाहता, लेकिन रूस को भी छोड़ नहीं सकता, और चीन से भी पूरी तरह अलग नहीं हो सकता. यही भारत की रणनीतिक स्वायत्तता है, जिसे मोदी सरकार भी बनाए रखना चाहती है.
#WATCH | Delhi: MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, I have no comments to offer on this post at this time. https://t.co/D2KHifBrMs pic.twitter.com/lLrgCGmM7g
— ANI (@ANI) September 5, 2025
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