मुस्लिम देश में धूमधाम से जन्माष्टमी! तीनों सेना प्रमुखों ने की शिरकत, कट्टरपंथियों को कड़ी चेतावनी
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बांग्लादेश में, जहां हिंदू अल्पसंख्यक लगातार हमलों और कट्टरपंथी हिंसा का सामना कर रहे हैं, देश के सेना प्रमुख जनरल वकार उज जमां ने जन्माष्टमी समारोह में भाग लेकर एक ऐतिहासिक और साहसिक कदम उठाया है।

राजधानी ढाका के ढाकेश्वरी मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में जनरल जमां ने स्पष्ट शब्दों में कहा, यह देश सबका है। यहां कोई विभाजन नहीं होगा, न धर्म के आधार पर, न जाति या पंथ के आधार पर। सभी नागरिकों के बराबर अधिकार हैं।

जनरल जमां का यह कदम न केवल बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए भरोसे की गारंटी है, बल्कि कट्टरपंथी ताकतों जैसे जमात-ए-इस्लामी, नेशनल सिटिजन्स पार्टी और अंसार-उल-बांग्ला को सीधी चेतावनी भी है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सेना हमेशा शांति, सुरक्षा और सांप्रदायिक सद्भाव के साथ खड़ी है।

इस जन्माष्टमी समारोह में न केवल सेना प्रमुख शामिल हुए, बल्कि नौसेना प्रमुख एडमिरल एम नजमुल हसन और वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल हसन महमूद खान भी मौजूद थे। इसके अतिरिक्त, 9वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल मोहम्मद मोइन खान ने पलाशी चौराहे पर आयोजित जुलूस में भाग लिया। यह दृश्य बांग्लादेश की सैन्य एकता और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बन गया।

जनरल जमां ने कहा, यह वह बांग्लादेश है, जहां हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध, ईसाई और जनजातीय समुदाय सदियों से शांतिपूर्वक रहते आए हैं। आज हमारी प्रतिज्ञा होनी चाहिए कि यह भाईचारा और एकता सदैव कायम रहे। उन्होंने भगवान कृष्ण की शिक्षाओं को याद करते हुए कहा कि यह हमें शांति और एकता के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं।

यह महत्वपूर्ण है कि शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले तेज़ हुए हैं, जिससे हिंदू समुदाय में गहरी असुरक्षा और भय की भावना है। अगस्त 2024 से जून 2025 के बीच 2,442 घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें 23 हिंदुओं की हत्या, 152 मंदिरों पर हमले, कई जगह आगजनी और मूर्ति-तोड़फोड़ शामिल है। उदाहरण के लिए, 1 मार्च 2025 को सिराजगंज में मां सरस्वती की मूर्ति तोड़ी गई, 5 मई 2025 को मदरिपुर का शिव मंदिर नष्ट किया गया और 27 मई 2025 को माणिकगंज के काली मंदिर पर हमला और आगजनी हुई।

आर्मी चीफ की यह भागीदारी अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस के लिए भी एक अप्रत्यक्ष संदेश मानी जा रही है। हालांकि यूनुस ने जन्माष्टमी पर शुभकामनाएं दीं, लेकिन हिंदुओं और मंदिरों पर हमलों पर उनकी प्रतिक्रिया को निष्क्रिय और ठंडी माना गया।

जनरल जमां ने एक बार फिर दोहराया, यह देश सबका है। यहां किसी धर्म या जाति के आधार पर भेदभाव नहीं होगा। हम सब मिलकर बांग्लादेश को एक सुनहरे भविष्य की ओर ले जाएंगे।

आर्मी चीफ और तीनों सेनाओं की इस ऐतिहासिक मौजूदगी ने जन्माष्टमी को केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि कट्टरपंथियों के खिलाफ राष्ट्रीय एकता का संदेश बना दिया है।

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