अमेरिका ने फ्रांस के फिलिस्तीन को एक देश के तौर पर मान्यता देने के फैसले पर कड़ी नाराजगी जताई है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो के इस फैसले पर हैरानी व्यक्त की है।
रुबियो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि अमेरिका संयुक्त राष्ट्र महासभा में फिलिस्तीन को राज्य के तौर पर मान्यता देने के फैसले को अस्वीकार करता है। उनका मानना है कि यह कदम हमास के दुष्प्रचार को बढ़ावा देगा और शांति प्रयासों को नुकसान पहुंचाएगा।
रुबियो ने आगे कहा कि मैक्रो का यह निर्णय 7 अक्टूबर के पीड़ितों के मुंह पर तमाचा मारने जैसा होगा।
यह प्रतिक्रिया तब आई है जब फ्रांस के राष्ट्रपति ने घोषणा की है कि उनका देश सितंबर में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की बैठक के दौरान फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता देगा।
जानकारी के अनुसार, अब तक 142 देश फिलिस्तीन को मान्यता देने की योजना बना रहे हैं, जिसके कारण इजराइल और अमेरिका लगातार दुनिया के इस कदम का विरोध कर रहे हैं।
मैक्रो ने फिलिस्तीन को मान्यता देने के फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि आज की सबसे बड़ी जरूरत गाजा में युद्ध को खत्म करना और सभी बंधकों को रिहा करवाना है। उन्होंने गाजा में बड़े पैमाने पर मानवीय सहायता पहुंचाने पर भी जोर दिया।
मैक्रो ने कहा कि हमें फिलिस्तीन का निर्माण करना चाहिए। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि वह विसैन्यीकरण को स्वीकार करे और इजराइल को पूरी तरह मान्यता दे, जिससे सभी की सुरक्षा में योगदान हो सके।
माना जा रहा है कि अगर फ्रांस फिलिस्तीन को मान्यता देता है, तो इसके बाद कई अन्य देश भी इस दिशा में कदम उठा सकते हैं। क्योंकि यूरोप में सबसे अधिक यहूदी और मुस्लिम फ्रांस में ही रहते हैं।
फिलिस्तीन के लोग वेस्ट बैंक, पूर्वी येरुशलम और गाजा को मिलाकर एक देश बनाने की मांग कर रहे हैं। इन जगहों पर 1967 से ही इजराइल का कब्जा है। वेस्ट बैंक में करीब 5 लाख यहूदी और 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं।
US Secretary of State Marco Rubio tweets, The United States strongly rejects Emmanuel Macron’s plan to recognize a Palestinian state at the UN General Aassembly. This reckless decision only serves Hamas propaganda and sets back peace. It is a slap in the face to the victims of… pic.twitter.com/FOdReHLF3O
— ANI (@ANI) July 25, 2025
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