मंत्री के विवादास्पद बयान से झारखंड में बवाल, भाजपा नेताओं ने निकाली भड़ास
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देशभर में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की 135वीं जयंती मनाई जा रही है. इसी बीच, झारखंड में मंत्री हफीजुल हसन के एक विवादास्पद बयान ने तूल पकड़ लिया है.

मंत्री हफीजुल हसन ने एक न्यूज चैनल को इंटरव्यू देते हुए संविधान और शरीयत के बीच तुलना की. उन्होंने कहा कि मुसलमान अपने सीने में कुरान और हाथ में संविधान रखते हैं. हम पहले शरीयत और उसके बाद संविधान को महत्त्व देते हैं.

मंत्री के इस बयान पर भाजपा के कई दिग्गज नेता भड़क उठे. कई नेताओं ने इसे संविधान का अपमान बताया है. कुछ ने मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है, तो कुछ ने उन्हें पाकिस्तान भेजने तक की बात कही है.

अभी तक इस मुद्दे पर मंत्री की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है, और न ही सरकार के किसी मंत्री ने इस पर कोई टिप्पणी की है.

शरीयत इस्लामी कानून है. यह इस्लामिक समाज में रहने के नियमों का एक समूह है. शरीयत, इस्लामिक कानूनी परंपराओं, इस्लामिक व्यक्तिगत और नैतिक आचरणों पर आधारित होती है. भारत में, मुसलमानों के लिए शरीयत अधिनियम, 1937 लागू होता है.

नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मंत्री के लिए संविधान नहीं बल्कि शरीयत मायने रखता है. उन्होंने मंत्री को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है. मरांडी ने कहा कि संवैधानिक पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति यदि कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता है, तो वह न सिर्फ वर्तमान, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खतरा उत्पन्न करता है.

केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने मंत्री के बयान को बाबा आंबेडकर के संविधान का सीधा अपमान बताया. उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन के नेताओं के लिए संविधान सिर्फ एक मुखौटा है, असली एजेंडा तुष्टिकरण है.

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने कहा कि बाबा साहेब के संविधान से ऊपर शरीयत को माना जा रहा है. उनके लिए संविधान दिखावा मात्र है. उन्होंने आरोप लगाया कि INDIA गठबंधन के नेता तुष्टिकरण की राजनीति में अंधे हो चुके हैं.

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने भी INDIA गठबंधन के नेताओं पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ये नेता तुष्टिकरण की राजनीति में पागल हो चुके हैं और इनका इतिहास ही बाबा साहेब और उनके बनाए संविधान का अपमान करने का रहा है.

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