उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर शहर में शुक्रवार को होली पर निकलने वाला बड़े लाट साहब का जुलूस कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हो गया.
जुलूस के दौरान कुछ बच्चों ने लाट साहब पर पत्थर फेंके, जिसके बाद पुलिस ने उन्हें खदेड़ दिया. पुलिस अधीक्षक राजेश एस. ने बताया कि जुलूस कुंचालाल से शुरू होकर पहले फूलमती मंदिर और टाउन हॉल होते हुए वापस कुंचालाल पर संपन्न हुआ.
खिरनी बाग चौराहे पर जुलूस के पीछे से पांच-छह बच्चों ने लाट साहब पर गुलाल और जूते-चप्पल के बाद एक पत्थर फेंका. मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें खदेड़ दिया. पुलिस अधीक्षक ने लाठीचार्ज की बात से इनकार किया है.
उन्होंने बताया कि लाट साहब का जुलूस कुंचालाल से शुरू होकर पहले फूलमती मंदिर पहुंचा, जहां लाट साहब ने पूजा अर्चना की. इसके बाद जुलूस परंपरा के अनुसार कोतवाली पहुंचा, जहां लाट साहब को सलामी दी गई. बाद में लाट साहब ने कोतवाल से पूरे साल हुए अपराधों का ब्यौरा मांगा. इस पर कोतवाल ने उन्हें बतौर रिश्वत एक शराब की बोतल तथा नकद धनराशि दी. इसके बाद जुलूस टाउन हॉल पहुंचा और वहां से होता हुआ कुंचालाल में संपन्न हो गया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक लाट साहब के इस जुलूस में हजारों की तादाद में लोग होली खेल रहे थे और लाट साहब की जय कहते हुए उन्हें जूते मार रहे थे. महिलाएं भी छत पर खड़ी होकर लाट साहब के ऊपर रंग डाल रही थीं. पुलिस ने लाट साहब की बैलगाड़ी के चारों ओर मजबूत सुरक्षा घेरा बना रखा था.
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि शाहजहांपुर शहर में होली पर निकलने वाले बड़े लाट साहब के जुलूस के साथ ऐसे कुल 18 जुलूस शहर में निकलते हैं. इनमें से दो जुलूस प्रमुख होते हैं. इन जुलूसों में सुरक्षा के लिए सम्पूर्ण जुलूस मार्ग को तीन जोन तथा आठ सेक्टरों में बांटा गया था.
नगर आयुक्त विपिन कुमार मिश्रा ने बताया कि लाट साहब के जुलूस के मार्ग पर पड़ने वाली लगभग 20 मस्जिदों को तिरपाल से ढक दिया गया था, ताकि उन पर रंग ना पड़े. मस्जिदों तथा विद्युत ट्रांसफार्मर के पास बेरीकेडिंग कराई गई थी.
शहर में निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर पहली बार शाहजहांपुर की जिला जेल परिसर में भी लाट साहब का पुतला बनाकर जुलूस निकाला गया. जेल अधीक्षक मिजाजी लाल ने बताया कि कैदियों के अनुरोध पर उन्होंने शहर में निकलने वाले लाट साहब के जुलूस की तर्ज पर लाट साहब का पुतला बनवाकर जेल परिसर में उसका जुलूस निकाला. कैदियों ने उल्लास के साथ एक-दूसरे को रंग लगाया.
लाट साहब के जुलूस की परम्परा वर्ष 1728 में शाहजहांपुर में रहने वाले नवाब अब्दुल्ला खान के शहर में घूम-घूम कर लोगों के साथ होली खेलने के बाद पड़ी थी. समय के साथ इसका स्वरूप बिगड़ता गया और किसी अनजान व्यक्ति को लाट साहब बनाकर उसका मुंह काला करके भैंसागाड़ी पर बैठाने और जुलूस के रास्ते में उस पर रंग के साथ जूते-चप्पल बरसाने का रिवाज शुरू हो गया.
इतिहासकार डाक्टर विकास खुराना ने बताया कि वर्ष 1990 के दशक में इस जुलूस को रोकने के लिए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें न्यायालय ने इसे पुरानी परंपरा मानते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था.
#WATCH | UP | Shahjahanpur SP Rajesh S says, As per the tradition of Laat Sahab s julus in Shahjahanpur, shoes and slippers are also thrown in addition to colours during Holi. At one spot, four to five children threw bricks at people. Due to this, the police chased them away.… pic.twitter.com/R2zMs1E3r3
— ANI (@ANI) March 14, 2025
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