राजस्थान के बूंदी जिले में देई कस्बे में भाईदूज पर 500 साल पुरानी एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यह परंपरा स्पेन की प्रसिद्ध बुल रेस से भी ज़्यादा रोमांचक है. यहां बाबा घास भैरू की सवारी निकलती है, जिसमें पहले बैलों को शराब पिलाई जाती है और फिर उन्हें पटाखों की बौछार के बीच दौड़ाया जाता है.
देई में मीणा समाज के लोग भाईदूज के दिन अपने बैलों की पूजा करते हैं. वे उन्हें रंग-बिरंगे कपड़ों, घंटियों और फूलों की मालाओं से सजाते हैं. पूरे गांव में उत्सव का माहौल होता है. बूंदी, कोटा, टोंक और सवाईमाधोपुर जैसे आस-पास के जिलों से भी लोग इसे देखने आते हैं. विदेशी पर्यटक भी इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए पहुंचते हैं.
पूजा के बाद बैलों को मदिरा पिलाई जाती है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यह मदिरा बाबा घास भैरू को चढ़ाने का प्रतीक है. मदिरा पीने के बाद बैल झुंडों में आगे बढ़ते हैं.
जैसे ही सवारी घास भैरू चौक से शुरू होती है, पूरा गांव जय बाबा घास भैरू के नारों से गूंज उठता है. नशे में मस्त बैल तेज़ी से भीड़ के बीच से दौड़ते हैं. लोग छतों से बैलों पर पटाखों की बारिश करते हैं. पटाखों की तेज़ आवाज़ से बैल उछल पड़ते हैं, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति बन जाती है.
इस दौरान कई बार लोग बैलों की रस्सियों में उलझकर गिर पड़ते हैं या घायल हो जाते हैं. चारभुजा नाथ मंदिर के अध्यक्ष पुरूषोतम पारीक ने भी पटाखों और बैलों की दौड़ से होने वाले हादसों की पुष्टि की है.
ग्रामीण तुलसीराम पटेल बताते हैं कि बाबा घास भैरू की प्रतिमा एक गोल पत्थर के रूप में है, जिसका वजन लगभग पांच क्विंटल है. इस प्रतिमा को लकड़ी के आसन पर रखकर लोहे की सांकलों से बांधा जाता है और बैल जोतकर पूरे गांव में घुमाया जाता है.
ग्रामीणों की अटूट आस्था है कि इस खतरनाक आयोजन के बावजूद, बाबा की कृपा से आज तक किसी इंसान या जानवर की मृत्यु नहीं हुई है. यह भी मान्यता है कि सवारी के दौरान जो भी बच्चा या बैल रस्सी के नीचे से निकलता है, वह पूरे साल सुरक्षित रहता है. इसी कारण कई परिवार अपने छोटे बच्चों को लेकर भी सवारी में शामिल होते हैं.
श्रद्धालु बाबा को मदिरा की बोतलें और कामी तेल का चढ़ावा चढ़ाते हैं. सवारी घास भैरू चौक से शुरू होकर गांव के मुख्य स्थानों से होते हुए वापस बाबा के स्थल पर लौटती है, जहां भक्ति और उत्साह का यह अनूठा संगम देखने को मिलता है.
*जयपुर: स्पेन की बुल रेस जैसी परंपरा राजस्थान में भी, पूजा के बाद बैलों को मदिरा पिलाकर होती है रेस#jaipur #Rajasthan pic.twitter.com/UG9FU8gpmz
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) October 24, 2025
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