बिहार विधानसभा चुनाव के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने अपनी ही पार्टी बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सम्राट चौधरी, अनंत सिंह, वीणा देवी, ओसामा शहाब, भगवान सिंह कुशवाहा, राधा चरण साह और दीपू यादव सहित आठ उम्मीदवारों को आपराधिक और भ्रष्ट बताया है।
आरके सिंह ने कहा कि ऐसे नेताओं को वोट देने से बेहतर है चुल्लू भर पानी में डूब मरना या नोटा को वोट देना। इस बयान से बिहार की राजनीति में खलबली मच गई है।
आरके सिंह ने कहा कि किसी भी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले या भ्रष्ट व्यक्ति को वोट नहीं देना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति का हो। उन्होंने मोकामा से जदयू उम्मीदवार अनंत सिंह का उदाहरण देते हुए कहा कि 1985 में पटना के डीएम रहते उन्होंने अनंत सिंह को पीटा था।
उन्होंने राजद उम्मीदवार वीणा देवी (सूरजभान सिंह की पत्नी) का भी जिक्र किया और कहा कि बिहार के नंबर वन डॉन सूरजभान सिंह खुद न लड़कर पत्नी के माध्यम से चुनाव लड़ रहे हैं।
आरके सिंह ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर उम्र का फर्जी सर्टिफिकेट लगाकर हत्या के केस से बाहर आने का आरोप लगाया है। उन्होंने नवादा से जदयू उम्मीदवार विभा देवी के पति राजबल्लभ यादव की भी चर्चा की, जो पॉक्सो केस में सजायाफ्ता हैं।
आरके सिंह ने सीवान की रघुनाथपुर सीट से लड़ रहे शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब, भोजपुर की जगदीशपुर सीट से लड़ रहे भगवान सिंह कुशवाहा, संदेश से जदयू उम्मीदवार राधा चरण साह और राजद उम्मीदवार दीपू यादव का भी जिक्र किया। उन्होंने इन सभी पर या उनके पिता पर दर्ज आपराधिक मामलों की याद दिलाई।
हालांकि, आरके सिंह द्वारा आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद का जिक्र नहीं करने पर सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहे हैं। एक व्यक्ति ने पूछा है कि आरके सिंह ने सूरजभान सिंह की पत्नी, भगवान सिंह कुशवाहा, सम्राट चौधरी आदि पर सवाल उठाए, लेकिन आईएएस बिरादरी के हत्या में लिप्त आनंद मोहन की पत्नी और बेटे के बारे में कुछ नहीं कहा। क्या यादव, भूमिहार, कुशवाहा प्रत्याशी पर तंज और अपनी जाति वाले ठीक हैं?
एक अन्य व्यक्ति ने लिखा है कि आरके सिंह ने अब खुलकर अपनी पार्टी के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी है। प्रश्न यह है कि हाशिए पर जाने के बाद ही उन्हें यह सब क्यों याद आया? पहले वह चुप क्यों रहे? उन्होंने 2014 और 2019 में सूरजभान और आरके सिंह दोनों के एनडीए में साथ होने के बावजूद कोई सवाल क्यों नहीं उठाया? पिछले साल जब अनंत सिंह की पत्नी ने एनडीए की मदद की, तब आरके सिंह देश के पावर मिनिस्टर थे, लेकिन उन्होंने अनंत सिंह के आपराधिक रिकॉर्ड पर कोई सवाल नहीं उठाया।
लोगों का कहना है कि जब आरके सिंह केंद्र में मंत्री और बीजेपी सांसद थे, तब उन्होंने सम्राट चौधरी से कोई सवाल नहीं किया। अब अचानक यह विरोध क्यों? पहले की चुप्पी और अब की मुखरता के पीछे का कारण क्या है?
*अपराधी छवि के नेताओं को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं
— Kanhaiya Bhelari (@bhelari1) October 20, 2025
बीजेपी के बड़े नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजकुमार सिंह
सुनिए क्या कह रहे हैं pic.twitter.com/U3ifrq1iyo
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