वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का खजाना, जो 54 वर्षों से बंद था, आज धनतेरस के दिन खोला गया। यह खजाना लगभग 160 वर्ष पुराना बताया जा रहा है, जिसे लेकर भक्तों में भारी उत्सुकता थी।
आज सिविल जज, दो एसडीएम, एसपी सिटी, सीओ सदर, सीओ वृंदावन, वन विभाग की टीम, 70 से अधिक पुलिसकर्मी और सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित हाई पावर कमिटी के सदस्य मौजूद थे।
सुरक्षा के मद्देनजर, तहखाने को खोलने से पहले केमिकल का छिड़काव किया गया, क्योंकि आशंका थी कि अंदर जहरीले सांप, चूहे और अन्य जीव-जंतु हो सकते हैं। वन विभाग की टीम सांप पकड़ने के उपकरणों के साथ पहुंची थी।
खजाने की वीडियोग्राफी करवाई गई है, ताकि हर गतिविधि का दस्तावेजीकरण किया जा सके। प्रशासन इसे धार्मिक धरोहर के संरक्षण की दृष्टि से महत्वपूर्ण मान रहा है, जबकि मंदिर के पुजारी इसे परंपरा का उल्लंघन बता रहे हैं।
मंदिर के सेवायत शैलेंद्र गोस्वामी ने कहा कि अगर तहखानों से कुछ निकला तो वह गोस्वामियों का होगा। उन्होंने बताया कि जिस तहखाने का विरोध हो रहा है, वह 1971 में पहली बार खुला था। उस समय कुछ अनियमितताएं मिलने के बाद उस कक्ष को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अगस्त में एक कमेटी बनाई। कमेटी के अध्यक्ष, इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस अशोक कुमार ने जब मंदिर का निरीक्षण किया, तो उन्होंने ठाकुर जी की दायीं ओर का कक्ष बंद पाया। उनके आदेश पर ही 54 साल बाद खजाने को खोला गया।
तहखाने में दो रास्ते मिले, जहां मलबा पड़ा हुआ था। मलबे को हटाने पर सीढ़ियां मिलीं। सीढ़ियों के रास्ते समिति के सदस्य अंदर गए, जहां एक जहरीला सांप निकला।
सर्चिंग टीम को दो संदूक मिले - एक लोहे का और दूसरा लकड़ी का। इसके अलावा, तीन कलश मिले हैं। लकड़ी के बक्से के अंदर छोटे-बड़े ज्वेलरी के कई खाली डिब्बे मिले और 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पत्र भी मिला। एक चांदी का छोटा छत्र भी मिला है। दूसरे संदूक में कुछ बर्तन मिले हैं, जिनके चांदी के होने की संभावना है।
कमेटी के सदस्यों ने एएसआई के अधिकारियों से बात करने के बाद सब कुछ सुरक्षित रख दिया। पहले दिन की जांच खत्म होने पर गेट को फिर से बंद कर दिया गया।
कमेटी के चेयरमैन जस्टिस अशोक कुमार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। वह तय करेंगे कि तहखाने को फिर कब खोला जाएगा।
1971 में खजाना बंद होने से पहले ही कीमती आभूषणों को सुरक्षा के लिए बैंक में जमा करा दिया गया था, जो आज भी मथुरा के भूतेश्वर में स्टेट बैंक के एक लॉकर में सुरक्षित है।
*#DNAWithRahulSinha | 54 वर्ष बाद..क्यों खुला बांके बिहारी का खजाना? बांके बिहारी मंदिर के खजाने में क्या-क्या मिला?
— Zee News (@ZeeNews) October 18, 2025
धनतेरस पर बांके बिहारी के खजाने का विश्लेषण#DNA #Vrindavan #BankeBihariTemple @RahulSinhaTV pic.twitter.com/fYzYfmkOw8
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