इस्लामाबाद: वरिष्ठ पाकिस्तानी पत्रकार हामिद मीर ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के विरोध प्रदर्शनों पर सरकार द्वारा लगाई सेंसरशिप की कड़ी आलोचना की है। उनका कहना है कि इस वजह से लोग आंदोलन की जानकारी पाने के लिए भारतीय टीवी चैनल देखने को मजबूर हैं।
मीर ने अपने चैनल पर प्रसारित एक वीडियो में कहा कि पाकिस्तानी टीवी चैनलों को टीएलपी विरोध प्रदर्शनों पर प्रसारण या चर्चा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। यह आंदोलन पिछले एक हफ्ते से देश के प्रमुख शहरों को प्रभावित कर रहा है।
मीर ने कहा, लाहौर को पाकिस्तान का दिल कहा जाता है और वहां प्रदर्शन हो रहा है। पहले दिन दो-तीन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई, अगले दिन भारी विरोध हुआ... यह मुरीदके तक भी पहुंच गया जहां एक पुलिसकर्मी की मौत हो गई। कई अन्य लोग भी मारे गए। हालांकि, हमें विरोध के कारणों पर चर्चा करने की अनुमति नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि लोगों को विरोध प्रदर्शन के बारे में जानकारी भारतीय टीवी चैनलों और विदेशी मीडिया संस्थानों से लेनी पड़ रही है। मीर ने शहबाज शरीफ सरकार की सेंसरशिप की आलोचना करते हुए कहा कि भारतीय मीडिया ने इस मुद्दे पर चर्चा शुरू कर दी है और साद रिज़वी की तस्वीर भी दिखाई है। अब लोग जानकारी के लिए भारतीय टीवी चैनल देखने लगे हैं, जिससे पाकिस्तानी टीवी और अखबारों की विश्वसनीयता पर असर पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि पुलिस और टीएलपी कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों के बाद लाहौर शहर लगभग ठप हो गया है। टीएलपी कार्यकर्ताओं ने गाजा पर इजराइल के आक्रमण के खिलाफ इस्लामाबाद तक मार्च करने की धमकी दी थी। पिछले हफ्ते शुरू हुए विरोध प्रदर्शन में पुलिसकर्मियों समेत दर्जनों लोग मारे गए हैं।
पाकिस्तान सरकार ने टीएलपी पर गाजा संघर्ष का राजनीतिक लाभ उठाने का आरोप लगाया है और अशांति को नियंत्रित करने के लिए भारी सुरक्षा व्यवस्था तैनात की है और प्रमुख शहरों में सड़क संपर्क और संचार सेवाएं बंद कर दी हैं।
तनाव बढ़ने पर, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश की आंतरिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए गृह मंत्री मोहसिन नकवी के साथ बैठक की।
गौरतलब है कि इस कट्टरपंथी समूह पर अप्रैल 2021 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसे बाद में हटा लिया गया था।
Journalist @HamidMirPAK openly admits that Pakistani news channels have been strictly barred from showing the brutal crackdown on the TLP march. Despite this blackout, ISPR proudly claims Pakistan’s media is freer than India’s.
— OsintTV 📺 (@OsintTV) October 14, 2025
The reality on ground exposes that lie. pic.twitter.com/1oyOCJqRHp
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