आलोचना सुनने को तैयार नहीं सत्ताधीश, पत्रकार को नोटिस पर हरीश रावत का हमला!
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देहरादून: पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पत्रकार को सवाल पूछने पर नोटिस जारी करने को लेकर सरकार पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने सरकार से तत्काल यह नोटिस वापस लेने की मांग की है।

रावत ने कहा कि आज के सत्ताधीश आलोचना को बर्दाश्त नहीं कर पाते। उन्हें यह बेहद कर्णकटु लगती है। निर्भीक, मगर उत्तरदायित्व पूर्ण पत्रकारिता उत्तराखंड की शान रही है। हमारे कई पत्रकार मित्रों ने हमारी आलोचना की है, जब हम सत्ता में थे। मेरा मानना है, निर्भीक पत्रकारिता सत्ता और सत्ताधीश, दोनों को शक्ति देती है।

उन्होंने आगे कहा कि अब एक पत्रकार ने सिडकुल (SIDCUL) से जुड़ा सवाल उठाया, तो उनके घर नोटिस भेज दिया गया। मेरी सलाह है, नोटिस तत्काल वापस लेना चाहिए। हां, यदि कोई स्पष्टीकरण है, तो उसे भी पत्रकार की लेखनी या कंठस्वर में स्थान मिलना चाहिए।

मामला सिडकुल द्वारा एक निजी बिल्डर को जमीन लीज पर देने से जुड़ा है। पत्रकार ने इस मामले पर अपने X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक पोस्ट साझा किया था।

पोस्ट में पत्रकार ने लिखा था कि उन्होंने सिडकुल द्वारा आईटी पार्क की जमीन 90 साल की लीज पर एक निजी कंपनी को देने का जिक्र किया था, जिसके बदले में उन्हें सिडकुल की तरफ से एक लीगल नोटिस मिला है, जो सुप्रीम कोर्ट के वकील ने भेजा है।

पत्रकार ने आगे लिखा कि नोटिस देने के लिए उनकी गैर-मौजूदगी में उनके घर पर तीन दिन तक खाकी वर्दी में सरकारी लोग गए, जो उनके परिवार पर मानसिक दबाव बनाने की कोशिश थी।

उन्होंने यह भी कहा कि वह राज्यहित के मुद्दे उठाते रहेंगे और उधमसिंह नगर के खुरपिया फार्म में भी कुछ ऐसा ही सुनने को मिल रहा है, जिसे सत्यापित करने के बाद वह सामने रखेंगे।

पत्रकार ने अंत में सवाल किया कि सरकारी जमीन प्राइवेट बिल्डर को क्यों दी जाए? इससे उत्तराखंड का क्या भला होगा? उन्होंने परिपक्व राजनेताओं को दो कौड़ी के स्वार्थी सलाहकारों की सलाह न मानने की भी सलाह दी।

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