वेनेजुएला की आयरन लेडी के नाम से मशहूर मारिया कोरिना मचाडो ने नोबेल शांति पुरस्कार जीता है। नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने उन्हें 2025 का पुरस्कार दिया है। वेनेजुएला में लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा और तानाशाही से लोकतंत्र में शांतिपूर्ण बदलाव सुनिश्चित करने के उनके संघर्ष को समिति ने सम्मानित किया है।
यह पुरस्कार ट्रंप के दुश्मन देश को मिलना और भी महत्वपूर्ण है। ट्रंप वेनेजुएला को अपना दुश्मन मानते हैं और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। ट्रंप बार-बार वेनेजुएला पर अमेरिका को ड्रग्स की आपूर्ति करने और अमेरिकी नागरिकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाते रहे हैं।
नोबेल फाउंडेशन के अनुसार, मचाडो वेनेजुएला में एक स्वतंत्रता की आवाज बनकर उभरी हैं। उनके साहस ने नागरिक समाज को लोकतंत्र की लौ जलाए रखने में मदद की है। समिति ने उन्हें शांति की साहसी और प्रतिबद्ध समर्थक बताया है।
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 1967 में वेनेजुएला में हुआ था। उन्होंने आंद्रेस बेलो कैथोलिक विश्वविद्यालय से औद्योगिक इंजीनियरिंग में पढ़ाई की और IESA, कराकस से वित्त में स्नातकोत्तर किया। 2009 में उन्होंने येल विश्वविद्यालय के वर्ल्ड फेलो प्रोग्राम में हिस्सा लिया।
राजनीति में कदम रखने से पहले मचाडो ने 1992 में फंडासिओन एटेनिया की सह-स्थापना की। इसका उद्देश्य अनाथ और जोखिमग्रस्त बच्चों की मदद करना था। बाद में उन्होंने ऑपर्चुनिटास फाउंडेशन में अध्यक्ष के रूप में सामाजिक विकास का काम जारी रखा।
मचाडो पिछले दो दशकों से वेनेजुएला के विखंडित विपक्ष को जोड़ने के लिए काम कर रही हैं। उन्होंने हमेशा लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और शांतिपूर्ण भागीदारी का समर्थन किया है। सुमाते मंच के माध्यम से उन्होंने चुनावी पारदर्शिता, न्यायिक स्वतंत्रता, मानवाधिकार और प्रतिनिधित्व के लिए लगातार संघर्ष किया।
पिछले दो दशकों में वेनेजुएला का राजनीतिक परिदृश्य नाटकीय रूप से बदल गया है। कभी समृद्ध और लोकतांत्रिक देश अब सत्तावादी शासन के अधीन है। लाखों लोग गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। विपक्षी नेताओं को चुनावी धांधली, कानूनी उत्पीड़न और जेल का सामना करना पड़ता है। लगभग 80 लाख लोग देश छोड़ चुके हैं।
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में मचाडो को सीधे चुनाव लड़ने से रोका गया। उन्होंने एडमंडो गोंजालेज उरुतिया का समर्थन किया और लाखों स्वयंसेवकों को संगठित किया। नागरिकों ने उत्पीड़न और गिरफ्तारी के खतरे के बावजूद मतदान केंद्रों पर पारदर्शिता सुनिश्चित की। चुनाव परिणामों में विपक्ष की जीत स्पष्ट थी, लेकिन शासन ने इसे स्वीकार नहीं किया।
नोबेल समिति के अनुसार, स्थायी शांति के लिए लोकतंत्र आवश्यक है। मचाडो का संघर्ष इसी सिद्धांत की जीवंत मिसाल है। वेनेजुएला का संघर्ष उन देशों के लिए भी सीख है जहां सत्तावादी शासन कानून, स्वतंत्र मीडिया और नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर करता है।
मचाडो ने विपक्ष को एकजुट किया, सैन्यीकरण का विरोध किया और लोकतांत्रिक बदलाव में शांतिपूर्ण मार्ग अपनाया। उनका मानना है कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करना ही स्थायी शांति की नींव है। नोबेल समिति ने उनके इस प्रयास को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मान्यता दी है। वेनेजुएला में उनके साहस और नेतृत्व को विश्व स्तर पर सराहा गया है।
This year’s Nobel Peace Prize laureate Maria Corina Machado has led the struggle for democracy in the face of ever-expanding authoritarianism in Venezuela. Ms Machado studied engineering and finance, and had a short career in business. In 1992 she established the Atenea… pic.twitter.com/OtFF6NPuGl
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 10, 2025
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