ट्रंप नहीं, वेनेजुएला की आयरन लेडी मारिया कोरिना मचाडो को मिला नोबेल शांति पुरस्कार
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नार्वे की नोबेल समिति ने मारिया कोरिना मचाडो को 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया है। यह सम्मान उन्हें वेनेजुएला में लोकतंत्र और लोगों के अधिकारों के लिए लगातार काम करने के लिए दिया गया है। उन्हें तानाशाही से लोकतंत्र की ओर शांतिपूर्ण बदलाव की कोशिशों के लिए यह पुरस्कार मिला है।

इस घोषणा से डोनाल्ड ट्रंप की नोबेल पुरस्कार जीतने की उम्मीदों को झटका लगा है, जो पिछले कुछ दिनों से इस दौड़ में अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे।

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरिना मचाडो पिछले एक साल से छिपकर जीवन जीने को मजबूर हैं, फिर भी उन्होंने अपने संघर्ष को जारी रखा।

नोबेल कमेटी ने कहा, उनके जीवन को गंभीर खतरा होने के बावजूद, वह देश में बनी रहीं। उनका यह चुनाव लाखों लोगों को प्रेरित करने वाला है।

कमेटी ने मचाडो की बहादुरी की सराहना करते हुए कहा कि जब सत्तावादी ताकतें सत्ता पर कब्जा कर लेती हैं, तो आजादी के साहसी रक्षकों को पहचानना महत्वपूर्ण है जो उठ खड़े होते हैं और विरोध करते हैं।

समिति ने कहा, लोकतंत्र उन लोगों पर निर्भर करता है जो चुप रहने से इनकार करते हैं, जो गंभीर जोखिम के बावजूद आगे बढ़ने का साहस करते हैं, और जो हमें याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए, बल्कि इसे शब्दों, साहस और दृढ़ संकल्प के साथ हमेशा सुरक्षित रखना चाहिए।

2024 के चुनाव से पहले मचाडो विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार थीं, लेकिन शासन ने उनकी उम्मीदवारी रद्द कर दी। इसके बाद उन्होंने दूसरे विपक्षी उम्मीदवार एडमुंडो गोंजालेज उरुटिया का समर्थन किया।

सैकड़ों वालंटियर ने सियासी सीमाओं से परे जाकर चुनाव में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जमकर मेहनत की।

धमकियों, गिरफ्तारियों और यातना के जोखिम के बावजूद लोगों ने मतदान केंद्रों पर निगरानी रखी और सुनिश्चित किया कि परिणामों से किसी तरह की छेड़छाड़ न हो। हालांकि सरकार ने चुनाव परिणाम मानने से इनकार कर दिया और सत्ता नहीं छोड़ी।

पिछले साल मचाडो को छिपकर जीवन बिताने पर मजबूर होना पड़ा, लेकिन गंभीर धमकियों के बावजूद उन्होंने देश नहीं छोड़ा।

नोबेल कमेटी ने अपने बयान में कहा, वेनेज़ुएला, जो कभी अपेक्षाकृत लोकतांत्रिक और समृद्ध देश था, अब एक निर्दयी तानाशाही राज्य में बदल चुका है जो मानवीय और आर्थिक संकट से जूझ रहा है। आज अधिकांश वेनेज़ुएलावासी भयंकर गरीबी में जी रहे हैं जबकि कुछ लोग सत्ता के शीर्ष पर बैठकर देश की संपत्ति लूट रहे हैं। राज्य की हिंसक मशीनरी अब अपने ही नागरिकों पर दमन कर रही है। करीब 80 लाख लोग देश छोड़कर जा चुके हैं, और विपक्ष को चुनावी धांधली, कानूनी धमकियों और जेलों के ज़रिए दबाया गया है।

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