ओवैसी का 15 मिनट वाला तेवर 15 सेकंड में कैसे बदला? I LOVE मोहम्मद से क्यों बनाई दूरी?
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मुसलमानों के रहनुमा बनने का दावा करने वाले असदुद्दीन ओवैसी ने I LOVE मोहम्मद अभियान से अचानक दूरी बना ली. बिहार में इसका समर्थन करने वाले ओवैसी ने आखिर पुणे में इससे किनारा क्यों कर लिया?

ओवैसी पुणे में अपनी पार्टी के कार्यक्रम में पहुंचे थे. वहां कुछ युवाओं ने उन्हें I LOVE मोहम्मद लिखा फ्रेम देने की कोशिश की. ओवैसी ने फोटो तो खिंचवाई, लेकिन पोस्टर वापस कर दिया और असहज दिखे.

सवाल यह है कि मुसलमानों से जुड़े हर मुद्दे पर बोलने वाले ओवैसी ने इस पोस्टर से दूरी क्यों बनाई? क्या यह बरेली के मौलाना तौकीर रजा के साथ हुई कार्रवाई का डर था? या महाराष्ट्र में राजनीतिक फायदे की कमी?

ओवैसी का यह व्यवहार उनके कट्टरपंथी छवि के विपरीत था. कुछ दिन पहले तक वो I LOVE मोहम्मद का समर्थन कर रहे थे, तब उन्होंने कहा था कि मुसलमान मोहम्मद साहब को सबसे ज्यादा चाहे बिना मुसलमान नहीं हो सकता.

26 सितंबर को ओवैसी ने बिहार के पूर्णिया में इस पोस्टर का समर्थन किया था. सीमांचल में 49 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है और ओवैसी की पार्टी को 2020 में यहां से 5 सीटें मिली थीं. उनका लक्ष्य आगामी चुनाव में भी यहां से जीतना है.

लेकिन 30 सितंबर को पुणे में उन्होंने पोस्टर लेने से इनकार कर दिया. राजनीतिक समीकरणों को समझने वाले ओवैसी जानते हैं कि राजनीति में जगह और समय का महत्व होता है. बिहार में चुनाव हैं, इसलिए वहां समर्थन किया. पुणे में दांव पर कुछ नहीं है, इसलिए किनारा कर लिया.

चार दिन पहले तक सोशल मीडिया पर भी समर्थन करने वाले ओवैसी ने अचानक क्यों बदला रुख? लंदन से कानून की डिग्री लेने वाले ओवैसी को कानूनी जटिलताओं का डर था?

बरेली के मौलाना तौकीर रजा को हिंसा की साजिश के आरोप में 27 सितंबर को गिरफ्तार किया गया. इससे एक दिन पहले तक ओवैसी समर्थन कर रहे थे, लेकिन गिरफ्तारी के बाद पीछे हट गए.

क्या ओवैसी को किसी कानूनी उलझन की आशंका थी? शायद पुणे में इस मुद्दे से कोई राजनीतिक फायदा नहीं था. इसलिए उन्होंने अपनी छवि के विपरीत जाकर दूरी बना ली.

सिर्फ ओवैसी ही नहीं, कई नेता और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी अब इस अभियान से दूरी बना रहे हैं. बोर्ड ने 3 अक्टूबर को प्रस्तावित भारत बंद भी स्थगित कर दिया है.

ओवैसी ने सोचा होगा कि पुणे की तस्वीरों का बिहार में असर दिखाने में देर लगेगी. लेकिन उनके विरोधी अब बिहार में इन तस्वीरों का जिक्र करेंगे और उनसे सवाल पूछेंगे.

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