शहबाज़ शरीफ का UN में झूठ का पुलिंदा, भारत ने लगाई फटकार
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न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने एक बार फिर भारत विरोधी राग अलापा। उन्होंने कश्मीर मुद्दा उठाया, भारत पर एकतरफा हमले का आरोप लगाया और इंडस वॉटर ट्रीटी को निलंबित करने की भारत की कार्रवाई को गैर-कानूनी बताया।

शहबाज़ ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ करते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की वकालत की। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ के बयानों की कड़ी आलोचना करते हुए उनकी पूरी पोल खोल दी।

पेटल गहलोत ने शहबाज़ शरीफ के भाषण को हास्यास्पद नौटंकी करार दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान बार-बार आतंकवाद को बढ़ावा देता है और अब उसकी सच्चाई दुनिया के सामने बेनकाब हो चुकी है। UN में भारत की प्रथम सचिव पेटल गहलोत ने राइट ऑफ रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए पाकिस्तान को करारा जवाब दिया।

गहलोत ने UN महासभा को संबोधित करते हुए कहा, आज सुबह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने हास्यास्पद नौटंकी की और आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली अपनी विदेश नीति को जायज ठहराने की कोशिश की। लेकिन कोई भी ड्रामा और कोई भी झूठ सच को छिपा नहीं सकता।

गहलोत ने दुनिया को याद दिलाया कि पाकिस्तान का आतंकवाद को पनाह देने का लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान ने अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन को एक दशक तक अपने यहां छिपाए रखा, जबकि वह दुनिया को दिखाने के लिए आतंकवाद के खिलाफ जंग का नाटक करता रहा। हाल ही में पाकिस्तान के मंत्रियों ने खुलेआम स्वीकार किया कि उनके देश में दशकों से आतंकी कैंप चल रहे हैं।

गहलोत ने बताया कि 25 अप्रैल 2025 को UN सिक्योरिटी काउंसिल में पाकिस्तान ने रेसिस्टेंस फ्रंट नामक आतंकी संगठन को बचाने की कोशिश की। यह संगठन, जो पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है, जम्मू-कश्मीर में पर्यटकों की हत्या के लिए जिम्मेदार है।

शहबाज़ शरीफ ने दावा किया था कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान ने 7 भारतीय जेट विमानों को नष्ट किया। इस पर गहलोत ने तीखा जवाब देते हुए कहा, बहावलपुर और मुरीदके के आतंकी ठिकानों की तस्वीरें सच बयान करती हैं। इन तस्वीरों में भारतीय सेना द्वारा मारे गए आतंकियों के सबूत हैं। जब पाकिस्तान के सैन्य और नागरिक अधिकारी खुले तौर पर इन आतंकियों की तारीफ करते हैं, तो क्या इस शासन की मानसिकता पर कोई शक रह जाता है? 9 मई तक पाकिस्तान भारत पर हमले की धमकी दे रहा था, लेकिन 10 मई को उसकी सेना ने भारत से युद्धविराम की गुहार लगाई। यह सच्चाई पूरी दुनिया के सामने है।

शहबाज़ शरीफ ने दावा किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम में मध्यस्थता की। इस पर गहलोत ने दो टूक जवाब दिया, भारत और पाकिस्तान ने लंबे समय से सहमति जताई है कि दोनों देशों के बीच का कोई भी मुद्दा द्विपक्षीय बातचीत से हल होगा। इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई गुंजाइश नहीं है। यह हमारा राष्ट्रीय रुख है।

शहबाज़ शरीफ ने भारत के साथ शांति की इच्छा जताई थी। इस पर गहलोत ने कहा, अगर पाकिस्तान वाकई शांति चाहता है, तो रास्ता साफ है। उसे तुरंत अपने सभी आतंकी कैंप बंद करने होंगे और भारत में वांछित आतंकियों को सौंपना होगा। जो देश नफरत, कट्टरता और असहिष्णुता में डूबा हो, वह इस मंच पर आकर धर्म और विश्वास की बातें करता है। पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है।

शहबाज़ शरीफ ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान ने 7 भारतीय लड़ाकू विमान मार गिराए। भारत ने इन दावों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि ये बेबुनियाद हैं और पाकिस्तान के पास इसके कोई सबूत नहीं हैं। भारत के वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा था कि उल्टा भारत ने पाकिस्तानी विमानों को मार गिराया था।

भारत ने ऑपरेशन सिंदूर में लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के 9 बड़े आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए थे। भारत के एक्शन की तस्वीरों ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी थी। सिर्फ कुछ दिनों की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया था और सीजफायर की गुजारिश की थी।

शहबाज़ ने अपने भाषण का बड़ा हिस्सा डोनाल्ड ट्रंप की तारीफ में खर्च किया। उन्होंने ट्रंप को शांति का प्रतीक बताते हुए कहा, प्रेसीडेंट ट्रंप के साहसिक और दूरदर्शी नेतृत्व में पाकिस्तान युद्धविराम पर राजी हुआ। हम उनकी और उनकी टीम की सक्रिय भूमिका की कद्र करते हैं। अगर ट्रंप ने समय पर हस्तक्षेप नहीं किया होता, तो दक्षिण एशिया में एक भयावह युद्ध हो सकता था। उनके शांति प्रयासों के सम्मान में पाकिस्तान ने उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया।

हालांकि, भारत ने साफ किया कि सीजफायर दोनों देशों के DGMO के बीच बातचीत से हुआ था, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी। शहबाज़ के दावों के उलट, पाकिस्तान के DGMO ने ही भारत से बातचीत शुरू की थी, जब भारत ने आतंकी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की थी।

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