वक्फ संशोधन अधिनियम पर SC का अंतरिम आदेश: ओवैसी ने फैसले पर दी प्रतिक्रिया
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ऑल इंडिया मज्लिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी केवल एक अंतरिम आदेश दिया है।

ओवैसी ने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट जल्द ही पूरे कानून पर अपना फैसला सुनाएगी। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इस अधिनियम पर अंतिम निर्णय अभी नहीं आया है, यह केवल एक अंतरिम आदेश है।

सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के कुछ प्रमुख प्रावधानों पर रोक लगा दी है, लेकिन पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने अपने 128 पन्नों के अंतरिम आदेश में कहा कि किसी कानून की संवैधानिकता के पक्ष में हमेशा एक धारणा होती है और इसमें हस्तक्षेप केवल दुर्लभतम मामलों में ही किया जा सकता है। पीठ ने आगे कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि पूरे कानून के प्रावधानों पर रोक का कोई मामला बनता है, इसलिए अधिनियम पर रोक के अनुरोध को खारिज किया जाता है।

कोर्ट ने केंद्रीय वक्फ परिषद को निर्देश दिया कि कुल 20 में से चार से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए, और राज्य वक्फ बोर्डों में 11 में से तीन से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होने चाहिए।

आदेश में यह भी कहा गया है कि संशोधित वक्फ अधिनियम की धारा 3 के खंड (आर) का वह भाग जिसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो यह दर्शाता या प्रदर्शित करता है कि वह कम से कम पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहा है, उस वक्त तक स्थगित रहेगा जब तक कि राज्य सरकार की ओर से यह निर्धारित करने की प्रक्रिया के लिए नियम नहीं बनाए जाते कि व्यक्ति कम से कम पांच सालों से इस्लाम का पालन कर रहा है या नहीं।

शीर्ष अदालत ने उस प्रावधान पर भी रोक लगा दी जिसमें कहा गया है कि किसी संपत्ति को उस वक्त तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाए जब तक कि नामित अधिकारी अपनी रिपोर्ट नहीं सौंप देता।

वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश का विपक्षी दलों ने स्वागत किया है। विपक्षी नेताओं का कहना है कि इसने संशोधित कानून के पीछे छिपी विकृति मंशा को काफी हद तक नाकाम कर दिया है। कई मुस्लिम संगठनों ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के अपने संकल्प की पुष्टि की है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आज का आदेश न केवल उन दलों की जीत है, जिन्होंने संसद में इस मनमाने कानून का विरोध किया था, बल्कि उन सभी संयुक्त संसदीय समिति के सदस्यों की भी जीत है जिन्होंने विस्तृत असहमति नोट प्रस्तुत किए थे।

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