दक्षिण पश्चिम मानसून वापसी की ओर है और सर्दी का मौसम दस्तक देने को तैयार है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि इस साल के अंत में प्रशांत महासागर में ला नीना सक्रिय होने से भारत समेत पूरी दुनिया में मौसम पर असर पड़ेगा.
उत्तर भारत के लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है. मौसम विज्ञानियों का कहना है कि ला नीना के असर से भारत की सर्दियां, खासकर अक्टूबर से दिसंबर के बीच, सामान्य से ज्यादा ठंडी हो सकती हैं.
उत्तर भारत और हिमालयी क्षेत्र में भयंकर शीतलहर, कड़ाके की ठंड और भारी बर्फबारी का दौर रहने की आशंका है. इसलिए पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश के लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. बर्फबारी के लिए पहले से तैयारी करने की सलाह दी जाती है.
ला नीना, अल नीनो साउदर्न ओसिलेशन (ENSO) नामक जलवायु परिवर्तन है, जिससे प्रशांत महासागर ठंडा हो जाता है. इसका तापमान सामान्य से कम हो जाता है और पूर्वी हवाएं तेजी से बहती हैं. इससे जहां धरती के कुछ हिस्सों में ज्यादा बारिश होती है, वहीं कुछ इलाकों को सूखे की स्थिति झेलनी पड़ती है. ला-नीना के सक्रिय होने पर भारत में सर्दी भी पड़ती है.
इस बार सर्दियों में भारत में ला नीना के कारण ज्यादा बारिश भी देखने को मिल सकती है. ला नीना के असर से ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया में अच्छी बारिश होती है. उत्तरी यूरोप में सर्दी कम पड़ती है, लेकिन दक्षिणी और पश्चिमी यूरोप में सर्दी ज्यादा पड़ सकती है. ला नीना के कारण होने वाली बारिश किसानों की खरीफ की फसलों के लिए फायदेमंद हो सकती है, लेकिन धान की फसलों को नुकसान हो सकता है.
अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा के जलवायु पूर्वानुमान केंद्र (CPC) ने ला लीना पर अपडेट दिया है. 11 सितंबर को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रशांत महासागर में अक्टूबर और दिसंबर 2025 के बीच ला नीना सक्रिय हो सकता है और इसकी संभावना 71% है. दिसंबर 2025 से फरवरी 2026 के बीच ला नीला का असर कम होकर 54% रह सकता है. इसका असर पूरी दुनिया के मौसम पर देखा जा सकता है.
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगस्त 2025 में ENSO बुलेटिन जारी किया था. इसमें कहा गया था कि प्रशांत महासागर में फिलहाल मौसमी परिस्थतियां तटस्थ हैं, यानी न अल नीनो और न ही ला नीना सक्रिय है. मानसून के सीजन में यही तटस्थ हालात बने रहे, लेकिन अक्टूबर से दिसंबर के बीच ला नीना के सक्रिय होने की संभावना 50 प्रतिशत है और ना लीना के सक्रिय होने का मतलब होगा, भारत में ज्यादा ठंड.
स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशांत महासागर पहले से ही सामान्य से ज्यादा ठंडा है, लेकिन अभी ला नीना के लेवल तक नहीं पहुंचा है. अगर महासागर की सतह का तापमान -0.5°C से नीचे गया और 3 महीने तक यही स्थिति बनी रही तो ला नीना एक्टिव होने की घोषणा हो जाएगी.
पंजाब के भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) और ब्राजील के राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (INPE) की साल 2024 में हुई रिसर्च में भी कहा गया है कि ला नीना से उत्तर भारत में कड़ी शीत लहर चलती है.
*updated CPC ENSO probabilities show an increase in La Nina percentage for the winter months. later on transitioning to Neutral in the late winter-spring months ❄️ pic.twitter.com/9X9mOeBK3g
— charlotte (@chazzzwx) September 13, 2025
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