नेपाल में तख्तापलट: वो तीन किरदार जिन्होंने बदल दी सत्ता!
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नेपाल में सत्ता की गद्दी पर कौन बैठेगा, इस पर मंथन जारी है। लेकिन एक आवाज जिसने सत्ता में बैठे नेताओं को कुर्सी से उतार दिया, उसकी कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है।

वर्ष 2015 में नेपाल में भीषण भूकंप आया था। इस भूकंप में एक शख्स ने अपने बेटे को खो दिया और इस घटना के बाद उस शख्स की जिंदगी बिल्कुल बदल गई। आज उसी शख्स ने नेपाल की सत्ता को बदल दिया है।

8 सितंबर को नेपाल में GEN Z के आंदोलन के दौरान सुदन गुरुंग की ताकत दिखी। सुदन गुरुंग, हामी नेपाल नाम के एक NGO के प्रमुख हैं। बताया जा रहा है कि नेपाल में एक साथ इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को सोशल मीडिया के जरिए एकजुट करने का कारनामा हामी नेपाल के NGO ने ही किया है। इसी NGO ने पूरे आंदोलन को लीड किया, जिसका खाका इसके प्रमुख सुदन गुरुंग ने खींचा। गुरुंग ने सड़क पर खड़े होकर आंदोलन का नेतृत्व किया, बंद कमरे में योजना बनाई और आंदोलन सफल होने के बाद चलाने वाले छात्रों का शुक्रिया अदा किया।

गुरुंग के संगठन हामी नेपाल ने सबसे पहले नेपो बेबीज और देश के भ्रष्टाचारी नेताओं को निशाने पर लिया। 8 सितंबर से पहले किसी को पता नहीं था कि दो दिन बाद नेपाल में क्या होने वाला है। लेकिन 8 सितंबर के दिन आंदोलन के लिए युवाओं को जुटने के लिए सोशल मीडिया के जरिए सुदन गुरुंग ने एक मैसेज दिया। इसी संदेश ने नेपाल के युवाओं के दिल में क्रांति की आग लगा दी। लाखों की संख्या में छात्र सड़कों पर ताकतवर सरकार के खिलाफ उतर आए।

गुरुंग ने कहा, भाइयों और बहनों, 8 सितंबर सिर्फ एक और दिन नहीं है। यह वह दिन है जब हम, नेपाल के युवा, उठ खड़े होंगे और कहेंगे अब बहुत हो गया। उन्होंने आगे कहा, चुप मत रहो। घर मत बैठो। अपने दोस्तों, परिवार, साहस और आवाज़ को साथ लाओ क्योंकि जब हम एक साथ खड़े होंगे, तो कोई भी शक्ति हमें नज़रअंदाज नहीं कर सकती।

8 सितंबर को ही गुरुंग ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें वो बता रहे थे कि ये आंदोलन कैसे करना है। उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अपील की और छात्रों को बताया कि उनका एनजीओ इस पूरे आंदोलन का प्रबंधन कर रहा है।

2015 में नेपाल में आए भूकंप के दौरान गुरुंग का बच्चा उनके हाथ में मरा था। इसके बाद उन्होंने इवेंट मैनेजमेंट का काम छोड़कर सामाजिक काम करने शुरू कर दिए। हामी नेपाल की स्थापना से पहले, सुदन गुरुंग ने 2015 के भूकंप के बाद 200 से अधिक स्वयंसेवकों को ऑनलाइन बुलाकर राहत कार्य शुरू किया।

नेपाल के Gen Z आंदोलन में जिन चेहरों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, उसमें बालेंद्र शाह और सुदन गुरंग के अलावा तीसरा नाम नेपाल के पूर्व उप प्रधानमंत्री रवि लामिछाने का है, जिनको प्रदर्शनकारियों ने नेपाल के नक्कू जेल से छुड़ा लिया है।

जेल से बाहर आए रवि लामिछाने, नेपाल की राष्ट्रीय स्वतंत्रता पार्टी के प्रमुख हैं और Gen Z आंदोलन में उनके कार्यकर्ताओं ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। रवि लामिछाने का शुरूआती जीवन अमेरिका में बाल्टीमोर में बीता। जून 2022 में लामिछाने ने मीडिया छोड़कर राजनीति में कदम रखा और राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी की स्थापना की।

रवि लामिछाने ने भी भ्रष्टाचार और सरकारी लापरवाही को मुद्दा बनाया और नवंबर 2022 में हुए पहले ही चुनाव में 20 सीटें जीतीं और नेपाल के उप प्रधानमंत्री बन गए। उन्हें देश के गृहमंत्री का ताकतवर पद भी मिल गया।

रवि लामिछाने पर आरोप लगे कि 2014 में उन्होंने अमेरिकी नागरिकता ली थी, जिससे उनकी नेपाली नागरिकता खुद खत्म हो गई। जनवरी 2023 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने उनकी सांसदी छीन ली। बाद में उन्होंने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।

ओली सरकार ने रवि लामिछाने को जेल भेजा था। उन पर गबन के आरोप लगाए गए। फिलहाल देश के उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे लामिछाने को जेल भेजने वाले देश छोड़ चुके हैं।

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