122 साल बाद अद्भुत संयोग: साल का आखिरी पूर्ण चंद्र ग्रहण, ब्लड मून का अद्भुत नज़ारा
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साल का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण शुरू हो गया है, जिसका नज़ारा भारत के कई शहरों में दिखाई दे रहा है। भारतीय समयानुसार, ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट पर प्रारंभ हुआ और रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। देश के विभिन्न हिस्सों से चंद्र ग्रहण की तस्वीरें और वीडियो सामने आ रहे हैं।

न्यूज़ एजेंसी ANI ने तमिलनाडु के चेन्नई, असम के गुवाहाटी, बंगाल की राजधानी कोलकाता, और राजस्थान की राजधानी जयपुर सहित अन्य शहरों में ग्रहण का प्रभाव देखे जाने के वीडियो साझा किए हैं।

यह चंद्र ग्रहण 122 साल बाद पितृपक्ष में लग रहा है, इसलिए इसका विशेष महत्व है। यह भारत, एशिया, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया और यूरोप सहित दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई दे रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में यह सबसे देर तक और सबसे अच्छा दिखाई देगा, जबकि यूरोप और अफ्रीका में लोग इसे चांद निकलते समय थोड़े समय के लिए देख पाएंगे।

नोएडा से आंशिक से पूर्ण चंद्र ग्रहण का वीडियो सामने आया है, जिसे ब्लड मून कहा जा रहा है।

दिल्ली में भी चंद्र ग्रहण का शानदार दृश्य दिखाई दिया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

चंद्र ग्रहण के बाद स्नान की परंपरा है। गंगा के किनारे रहने वाले लोग ग्रहण के बाद गंगा में स्नान करने को अधिक पुण्यकारी मानते हैं। यही कारण है कि इस समय बनारस, हरिद्वार सहित देश के अन्य गंगा घाटों पर लोगों की भारी भीड़ जमा है, जो ग्रहण समाप्त होने के बाद गंगा में स्नान करेंगे।

दिल्ली में चंद्र ग्रहण देखने के लिए स्पेस फाउंडेशन द्वारा उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले कैमरे और दूरबीनें स्थापित की गईं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी चंद्र ग्रहण की शुरुआत के साथ ही लोग इसे देखने के लिए एकत्रित हुए।

ज्योतिष के अनुसार, इस ग्रहण का पूर्ण प्रभाव रात 11 बजे से देखने को मिलेगा। यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में लग रहा है। सूतक और ग्रहण में बच्चों, वृद्धजनों और गर्भवती महिलाओं को कई तरह की सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है।

ग्रहण के सूतक काल से पहले, उत्तराखंड में बद्रीनाथ और केदारनाथ से लेकर देशभर के कई प्रमुख मंदिरों में पूजा-पाठ कर उनके कपाट बंद कर दिए गए। वाराणसी में गंगा घाट और हरिद्वार में हर की पौड़ी पर होने वाली संध्याकालीन गंगा आरती भी दोपहर को ही कर ली गई।

नई दिल्ली स्थित पीतांबरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य विक्रमादित्य ने बताया कि ग्रहण काल रविवार की रात 9 बजकर 57 मिनट पर शुरू होकर करीब साढ़े तीन घंटे तक रहेगा। ग्रहण की समाप्ति के बाद स्नान करना आवश्यक है।

उन्होंने आगे बताया कि कुंभ राशि में राहु के साथ चंद्रमा की युति में यह ग्रहण काल बनेगा। श्राद्ध से पहले चंद्र ग्रहण और बाद में सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। इन दो ग्रहणों के बीच का 15 दिन का समय बहुत सावधानी भरा है, क्योंकि इसमें कई ग्रहों के परिवर्तन का योग बन रहा है। आने वाले 40 दिनों में विश्व में कई प्रकार से उथल-पुथल होने की संभावना है।

आचार्य विक्रमादित्य के अनुसार, ग्रहण काल भारतीय ज्योतिष गणना के अनुसार पर्व काल माना जाता है। इस दौरान भगवान के मंत्र जप, साधना और चिंतन के द्वारा पुण्य अर्जित किया जा सकता है। ग्रहण के प्रभाव को राशियों के दृष्टिकोण से बहुत विस्तृत रूप से समझा जा सकता है, क्योंकि 12 राशियों में से प्रत्येक पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है।

ग्रहण काल के बाद सबसे पहले स्नान करना चाहिए, क्योंकि स्नान न करने पर सूतक काल व्याप्त रहता है। शनि के दोष को दूर करने के लिए ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी है।

आमतौर पर कहा जाता है कि चंद्र ग्रहण के दौरान मेडिटेशन करना अच्छा होता है। ग्रहण के दौरान ध्यान लगाने के अलावा भजन किए जा सकते हैं, मंत्रों का जाप कर सकते हैं या शांति के लिए सेल्फ रिफ्लेक्शन पर ध्यान दे सकते हैं। ग्रहण लगने से पहले और ग्रहण लगने के बाद नहाने के लिए कहा जाता है, क्योंकि इससे वातावरण में मौजूद अशुद्धियां अगर शरीर से चिपकी हों तो निकल जाती हैं। किसी पवित्र नदी का जल या गंगाजल घर पर और अपने आस-पास छिड़का जा सकता है, क्योंकि इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। सूतक काल के दौरान बहुत से लोग व्रत रखते हैं या फिर जरूरत से ज्यादा खाने से परहेज करते हैं। खासतौर से गर्भवती महिलाओं को सीमित मात्रा में कुछ खाने की सलाह दी जाती है। खाने में तुलसी के पत्ते डाले जा सकते हैं।

ग्रहण के दौरान धार्मिक दृष्टि से कुछ काम करने की मनाही होती है। इस दौरान शादी, कोई शुभ कार्य, घर में मेहमान बुलाना और किसी बड़े काम की शुरुआत करने से मना किया जाता है। जिस समयावधि में ग्रहण लगा हो उसमें कुछ भी पकाने से परहेज करना चाहिए। ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति या प्रतिमा को छूने से मना किया जाता है। किसी भी नुकीले औजार के इस्तेमाल से मना किया जाता है। चाकू या कैंची का इस दौरान उपयोग नहीं करना चाहिए।

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