अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चीन, भारत और रूस को लेकर दिए गए हालिया बयान ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है. कुछ इसे भारत के सामने ट्रंप का समर्पण बता रहे हैं, तो कुछ इसे उनकी नई नीति का संकेत मान रहे हैं. लेकिन इससे पहले एक बड़ा खुलासा सामने आया है.
खुलासा यह है कि चीन ने राष्ट्रपति ट्रंप के साथ-साथ यूएस के करोड़ों लोगों की जानकारियां हासिल कर ली हैं. डिफेंस से लेकर स्पेस तक, अमेरिका क्या कर रहा है, क्या करने वाला है, ट्रंप का अगला कदम क्या होगा, यूएस की असली ताकत क्या है, ये सब चीन को पता चल चुका है.
पिछले दिनों ट्रंप की सीक्रेट फाइल्स लीक होने की खबर आई थी. अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या इन्हीं सीक्रेट फाइल्स की वजह से ट्रंप आजकल चीन के नियंत्रण में नजर आ रहे हैं? भारत पर रूस से तेल खरीदने पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने वाले ट्रंप, रूस से दोगुना तेल खरीदने वाले चीन को लगातार मोहलत दे रहे हैं.
जो चीन लगातार अमेरिका के विरोधियों को जमा करके ट्रंप को चिढ़ा रहा है, उनका मजाक उड़ा रहा है, अपनी सैन्य ताकत की परेड दिखाकर अमेरिका को पूरी दुनिया के सामने शर्मिंदा कर रहा है, उस चीन के खिलाफ ट्रंप कठोर एक्शन लेने की बात तो दूर, कठोर बयान तक देने से बच रहे हैं. खुद अमेरिका में इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं और ट्रंप का ये चीन प्रेम दुनिया को हैरान कर रहा है.
अमेरिका के एक अखबार ने खुलासा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से जुड़े कई राज़ अब चीन के पास मौजूद हैं.
चीन ने लाखों अमेरिकियों के साथ अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के सीक्रेट कैसे हासिल कर लिए? ट्रंप की जो सीक्रेट फाइल्स चीन के पास पहुंच गई हैं, वो अमेरिका के भविष्य पर क्या असर डाल सकती हैं? क्या इन्हीं सीक्रेट फाइल्स के दम पर चीन अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कंट्रोल कर रहा है?
दुनिया की सुपर पावर अमेरिका के लिए सबसे बुरी खबर ये ही है. चीन के हैकर ग्रुप सॉल्ट टाइफून ने अमेरिका के करोड़ों लोगों के साथ-साथ राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस जैसे बड़े नेताओं का डेटा चुरा लिया है. यानी अमेरिका के राष्ट्रपति किससे बात कर रहे हैं, क्या बात कर रहे हैं, क्या मैसेज भेज रहे हैं, क्या रणनीतिक योजनाएं बना रहे हैं, ये सारी बातें चीन को पता हैं. आप ये भी कह सकते हैं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जीवन चीन के लिए अब एक खुली किताब है, जिसके हर पन्ने पर क्या लिखा है शी जिनपिंग को पता है.
चीन के हैकर ग्रुप Salt Typhoon ने अमेरिकी टेलीकॉम नेटवर्क्स को निशाना बनाया और अमेरिका के लगभग हर नागरिक का डेटा चुरा लिया. इसमें राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप और उप राष्ट्रपति जेडी वेंस भी शामिल हैं. जिन टेलीकॉम नेटवर्क्स को निशाना बनाया गया उसमें अमेरिका की AT&T, Verizon, Lumen Technologies जैसी कई बड़ी कंपनियों का डेटा शामिल है.
टेलीकॉम कंपनियों को हैक करने के लिए चीन ने अमेरिका की कमजोर साइबर सुरक्षा की खामियों का फायदा उठाया. चीन के हैकर्स ने इन कंपनियों के नेटवर्क को कई वर्षों तक एक्सेस किया और संवेदनशील जानकारी की चोरी जारी रखी, हैरान करने वाली बात ये है. खुद को हाईटेक बताने वाली अमेरिकी एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
चाइनीज़ हैकर्स का फोकस विशेष रूप से उन व्यक्तिगत फोन डेटा पर था जो राजनीतिक व्यक्तियों, सरकारी अधिकारियों और सैन्य अधिकारियों से जुड़ा था. इसके लिए कंप्यूटर नेटवर्क्स के जरिए चीन ने अमेरिका के राजनीतिक और सरकारी फोन डेटा तक पहुंच बनाई, जिसमें ट्रंप और जे डी वेंस के फोन भी शामिल थे.
चीन के हैकर ग्रुप Salt Typhoon ने डोनाल्ड ट्रंप और जेडी वेंस का डेटा चुराना उस वक्त से ही शुरू कर दिया था जब उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के लिए अभियान की शुरुआत की थी. यानि 2023 से ही ट्रंप की सीक्रेट फाइल्स चीन के पास पहुंचनी शुरू हो गई थी. अमेरिकी एक्सपर्ट ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद इसके जारी रहने की आशंका जाहिर कर रहे हैं. यानि चीन के पास डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान की हर जानकारी मौजूद है.
अमेरिकी टेलीकॉम कंपनियों को हैक करके चीनी हैकर्स ने सीधे ट्रंप समेत कई बड़े नेताओं के कॉल सुने, उनके मैसेज पढ़े और अमेरिकी नेताओं और सेना से जुड़े अधिकारियों के संवेदनशील डेटा तक पहुंच बनाई.
एफबीआई की पूर्व साइबर चीफ सिंथिया कैसर ने चीन के इस साइबर हमले के बाद कहा मुझे नहीं लगता कि कोई भी अमेरिकी इस हमले से बच पाया होगा. इसका असर राष्ट्रपति से हर नागरिक तक पहुंचा है. यानि Salt Typhoon ने बड़े अमेरिकी नेताओं और सैन्य अफसरों की संवेदनशील जानकारी तक पहुंच बनाकर चीन के हाथ में एक बहुत बड़ा हथियार थमा दिया है, जिसके दम पर युद्ध लड़े बगैर चीन अमेरिका में अपने हितों को साध सकता है.
चीन, ट्रंप के व्यक्तिगत, राजनीतिक और संवेदनशील जानकारी का इस्तेमाल ब्लैकमेल करने या उन्हें राजनीतिक दबाव में लाने के लिए कर सकता है. चीन, ट्रंप के निजी संपर्कों, संदेशों और चुनावी रणनीतियों का इस्तेमाल अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने के लिए कर सकता है. ट्रंप और दूसरे सेना के अधिकारियों के डेटा तक पहुंच का मतलब है. चीन को अमेरिकी सैन्य और रक्षा नीतियों की सही जानकारी मिल गई होगी. जिससे वह अमेरिका के सामरिक कदमों का अनुमान लगाने और उससे पहले तैयारी करने में सक्षम हो गया है.
इसके अलावा चीन, ट्रंप की व्यापारिक वार्ता और आर्थिक नीतियों से जुड़े डेटा का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ व्यापारिक दबाव बनाने में कर सकता है. आजकल जिस तरह चीन हर मोर्चे पर अमेरिका को पटखनी दे रहा है, इस बात की आशंका जाहिर की जा रही है कि ये डेटा चीन की बहुत मदद कर रहा है.
अब तक ट्रंप को ब्लैकमेल करने के कोई सबूत तो नहीं मिले हैं लेकिन ट्रंप के पहले और दूसरे कार्यकाल में चीन को लेकर उनका रूख अचानक काफी बदल गया है, हो सकता है आपने भी ट्रंप के अंदर चीन को लेकर आए इस बदलाव को महसूस किया हो. ट्रंप के पहले कार्यकाल में चीन के खिलाफ Trade War शुरू हुआ. चीन को मनीमेकिंग मशीन कहा. लेकिन दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के साथ एक व्यापार समझौता कर लिया और रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने के बावजूद कोई अतिरिक्त टैरिफ नहीं लगाया.
पहले कार्यकाल में ट्रंप ने ताइवान के लेकर एक मजबूत समर्थन दिखाया, ताइवान को अमेरिकी हथियार बेचने की अनुमति दी, जिससे चीन की नाराजगी बढ़ी लेकिन दूसरे कार्यकाल में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की घुसपैठ के बावजूद ताइवान को लेकर चीन के खिलाफ कोई सख्त बयान तक नहीं दिया.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भारत के साथ मजबूत रणनीतिक संबंधों की शुरूआत की, भारत के प्रधानमंत्री के साथ दोस्ती वाली केमिस्ट्री बनाई. ये चीन को काउंटर करने की अमेरिकी रणनीति का हिस्सा था. बाइडेन सरकार ने भी इसे जारी रखा लेकिन अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने भारत पर भारी टैरिफ लगाने के साथ साथ हर वो काम किया जिससे भारत अमेरिका से दूर और चीन के करीब जाए. इससे चीन की चिंता काफी हद तक दूर हो गई.
वैसे चीन सिर्फ अमेरिका को झटका नहीं दे रहा अमेरिका के करीब जा रहे पाकिस्तान को भी चीन से जोर का झटका धीरे से लगा है. शहबाज शरीफ चीन में सीपेक के दूसरे चरण पर काम शुरू होने के समझौते का दावा कर रहे थे लेकिन चीन ने सीपेक के अंतर्गत आने वाले सबसे बड़े प्रोजेक्ट कराची-रोहरी खंड रेल लाइन के लिए 2 अरब का कर्ज देने से इनकार कर दिया है. चीन ने कहा कि वित्तीय और सुरक्षा खतरे को देखते हुए वह इस प्रोजेक्ट से पीछे हट रहा है.
#DNAWithRahulSinha | चीन के पास..ट्रंप की सीक्रेट FILES ! ..तो इसलिए ट्रंप..चीन के सामने खामोश हो गए ? #DNA #DonaldTrump #China #XiJinping #UnitedStates #SecretFiles @RahulSinhaTV pic.twitter.com/m6gBHTIIX3
— Zee News (@ZeeNews) September 5, 2025
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