भारत के हथियार के मुरीद: UAE ने किया बड़ा सौदा, क्या ट्रंप को लगी मिर्ची?
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संयुक्त अरब अमीरात (UAE) भारत से M109 होवित्जर तोप के लिए बैरल खरीदेगा। यह सौदा लगभग 500 करोड़ रुपये का है और भविष्य में बढ़ भी सकता है। यूएई 1995 में नीदरलैंड से ये तोपें खरीद चुका है और यमन में हूती विद्रोहियों के खिलाफ इनका इस्तेमाल करता है।

अब यूएई अपने तोपखाने को और शक्तिशाली बनाने के लिए इन्हें अपग्रेड करना चाहता है। तोप की विध्वंसक क्षमता उसके बैरल की गुणवत्ता पर निर्भर करती है। मजबूत बैरल से तोप का गोला अधिक दूरी तक हमला कर सकता है। अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, इजरायल, चीन, तुर्की और इटली जैसे देश भी तोप के बैरल बनाते हैं, लेकिन यूएई ने मेड इन इंडिया बैरल को चुना है।

डॉनल्ड ट्रंप, जो दुनिया भर में अमेरिकी डिफेंस कंपनियों के हथियार बेचने की कोशिश कर रहे हैं, के लिए यूएई का यह फैसला एक बड़ा झटका है। इससे दुनिया को यह संदेश गया है कि भारतीय हथियार गुणवत्ता के मामले में अमेरिकी हथियारों से आगे हैं।

सिर्फ यूएई ही नहीं, सऊदी अरब भी भारत से सर्विलांस रडार, समुद्री सुरक्षा के लिए हथियार और कम्युनिकेशन सिस्टम खरीदता रहा है। ओमान अपनी नौसेना के लिए रडार और हथियार खरीदता है और सेना की ट्रेनिंग के लिए भारत से उपकरण और हेलिकॉप्टर लेता है। कतर भी अपनी समुद्री सीमा की निगरानी के लिए भारत से रडार, कम्युनिकेशन सिस्टम और हथियार खरीदता है।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 के बीच अमेरिका के डिफेंस एक्सपोर्ट में मिडिल ईस्ट की साझेदारी 38 प्रतिशत रही। अमेरिका हर साल लगभग 1.8 लाख करोड़ के हथियार मिडिल ईस्ट के देशों को बेचता है। यूएई और भारत के बीच इस सौदे से साफ है कि मिडिल ईस्ट के डिफेंस मार्केट में भारत की मजबूत पकड़ बन रही है।

मिडिल ईस्ट के देश अब भारत से डिफेंस डील इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वे बदलते वर्ल्ड ऑर्डर में भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में देख रहे हैं। भारत के साथ उनके मजबूत आर्थिक और ऊर्जा संबंध हैं। इसके अलावा, भारतीय हथियार गुणवत्ता में बेहतर और अमेरिका और यूरोपीय देशों के मुकाबले सस्ते भी हैं।

ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय हथियारों ने पाकिस्तान में जो तबाही मचाई, उससे उनकी मांग और बढ़ गई है। भारत की ब्रह्मोस मिसाइल को खरीदने के लिए कई देश इच्छुक हैं, जिनमें थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, मिस्र, सऊदी अरब, यूएई, कतर, ओमान, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला शामिल हैं। फिलीपींस ने 2022 में ही लगभग 28 सौ करोड़ रुपये में ब्रह्मोस की तीन बैटरी खरीदने की डील की थी और चीन से अपनी समुद्री सीमा की सुरक्षा के लिए इन्हें तैनात किया है।

मेक इन इंडिया और मेक फॉर वर्ल्ड की पॉलिसी के कारण वित्तीय वर्ष 2024-25 में भारत का रक्षा निर्यात 12 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। भारत अभी दुनिया के 80 देशों को गोला-बारूद, हथियार और दूसरे सैन्य सामान निर्यात कर रहा है।

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