शिक्षक दिवस पर सचिन तेंदुलकर ने गुरुओं को किया याद, पिता के लिए लिखा भावुक नोट
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भारत के दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शिक्षक दिवस पर अपने तीन मार्गदर्शक हाथों के प्रति आभार व्यक्त किया है. उन्होंने बताया कि इन तीन लोगों ने उनके करियर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

सचिन ने अपने पिता रमेश तेंदुलकर, अपने पहले कोच रमाकांत विट्ठल आचरेकर, और अपने भाई अजीत के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने उनके सफर में उनका मार्गदर्शन किया.

सचिन ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर लिखा, यह सफर एक सिक्के, एक किट बैग और तीन मार्गदर्शक हाथों, मेरे पिता, आचरेकर सर और अजीत के साथ शुरू हुआ. हमेशा आभारी रहूंगा.

सचिन के पिता का निधन 26 साल से भी ज्यादा पहले हो गया था, जब सचिन 26 साल के थे. वह अक्सर अपने पिता के साथ बिताए पलों को याद करते हुए उनके बारे में पोस्ट शेयर करते हैं.

उनके कोच आचरेकर का 87 वर्ष की आयु में 2 जनवरी, 2019 को निधन हो गया. सचिन ने आचरेकर के मार्गदर्शन में अपनी तकनीक को निखारा और सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक बनने की ओर कदम बढ़ाए. 1990 में, आचरेकर को कोच के रूप में खेल में उनके योगदान के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार दिया गया था. उन्हें 2010 में देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों में से एक, पद्म श्री पुरस्कार भी मिला.

सचिन ने अक्सर अपने बड़े भाई अजीत को उनके जीवन के शुरुआती क्षणों में उनके अपार समर्थन और मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद दिया है.

अपने शानदार करियर के दौरान, सचिन ने 664 अंतर्राष्ट्रीय मैचों में 48.52 की औसत से 34,357 रन बनाए. सचिन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी हैं.

उन्होंने 100 शतक और 164 अर्धशतक बनाए हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सर्वाधिक है. वह शतकों का शतक बनाने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं.

सचिन ने वनडे में 44.83 की औसत से 18,426 रन, 49 शतक और 96 अर्धशतक बनाए, और टेस्ट में 53.78 की औसत से 15,921 रन, 51 शतक और 68 अर्धशतक बनाए. सचिन के नाम दोनों प्रारूपों में सबसे ज्यादा रन भी हैं.

मास्टर ब्लास्टर वनडे में दोहरा शतक लगाने वाले और कुल 200 टेस्ट मैच खेलने वाले पहले क्रिकेटर भी हैं. वह 2011 में आईसीसी क्रिकेट विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे. 1992 में अपने विश्व कप डेब्यू के बाद, 2011 में भारत द्वारा फाइनल में श्रीलंका को छह विकेट से हराने के बाद प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतने का उनका सपना साकार हुआ.

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