दिल्ली में बाढ़ का कहर: जिन्हें बचाना था, वो राहत शिविर ही डूबे!
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दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। लगातार बारिश और हरियाणा से छोड़े गए पानी ने राजधानी को जलमग्न कर दिया है।

जिन राहत शिविरों में बाढ़ पीड़ितों को शरण दी गई थी, वे भी अब डूब चुके हैं। मयूर विहार फेज-1, यमुना बाजार और नजफगढ़ जैसे इलाकों में सड़कें नदियों में बदल गई हैं। लोग अपना सामान और जान बचाने को मजबूर हैं।

यमुना का जलस्तर रिकॉर्ड तोड़ सकता है। 3 सितंबर 2025 को जलस्तर 207.33 मीटर तक पहुंच गया, जो 2013 के रिकॉर्ड से ऊपर है। खतरे का निशान 205.33 मीटर है, लेकिन नदी लगातार बढ़ रही है। जानकार मानते हैं कि अगले दो दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है। हथिनीकुंड और वजीराबाद बैराज से हर घंटे भारी मात्रा में पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे दिल्ली के निचले इलाके डूब रहे हैं।

मयूर विहार फेज-1 और यमुना खादर में बनाए गए राहत शिविर खुद पानी में डूब गए हैं। यमुना बाजार के पास के शिविरों से लोगों को दूसरी जगहों पर ले जाया जा रहा है। पीड़ितों की शिकायत है कि शिविरों में साफ पानी, भोजन और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। बुराड़ी पुश्ते पर बने शिविर में शरण लिए लोग भरपेट भोजन न मिलने की शिकायत कर रहे हैं।

शिविर में रह रहे याकूब ने बताया कि उन्हें रात को सिर्फ तीन रोटी और सोयाबीन की सब्जी मिली। किसान शकील ने बताया कि मच्छरों की वजह से नींद नहीं आ रही है। महिलाओं ने छोटे बच्चों के लिए दूध की मांग की है। राहत शिविर में मच्छरों का प्रकोप है और फॉगिंग भी बेअसर है। पप्पू नाम के एक पीड़ित ने बताया कि बाढ़ में उनकी सारी फसल बर्बाद हो गई।

दिल्ली प्रशासन और एनडीआरएफ राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं। यमुना बाजार, मजनू का टीला और झरोड़ा कलां से लोगों को नावों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने ट्रैफिक अलर्ट जारी किया है, क्योंकि पुराने लोहे का पुल और आउटर रिंग रोड बंद हैं। भारी बारिश और जलजमाव से बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है।

यमुना बाजार, मयूर विहार, नजफगढ़, कश्मीरी गेट और वासुदेव घाट जैसे इलाकों में घरों में पानी भर गया है। मजनू का टीला के बाजार और आसपास की कॉलोनियां डूब गई हैं। सड़कों की जगह नदियां बह रही हैं और यातायात ठप हो गया है।

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