इंदौर: NICU में आदमखोर चूहों का आतंक, दो नवजातों की दर्दनाक मौत!
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इंदौर के महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय (MYH) के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में चूहों ने दो नवजात शिशुओं को कुतर डाला, जिसके बाद दोनों की मौत हो गई. यह घटना किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं है और इसने पूरे देश को झकझोर दिया है.

पहला मामला 31 अगस्त, 2025 को सामने आया. एक 1.2 किलोग्राम का नवजात शिशु, जिसे खरगोन में लावारिस हालत में छोड़ दिया गया था, जन्म से ही कम हीमोग्लोबिन और कई सर्जिकल समस्याओं से जूझ रहा था. चूहों ने उसके हाथ और पैर कुतर दिए, जिसके बाद 2 सितंबर को उसकी मौत हो गई. अस्पताल प्रशासन ने मौत का कारण सेप्टिसीमिया (रक्त संक्रमण) बताया, लेकिन सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ लापरवाही है?

दूसरा मामला 1 सितंबर, 2025 को सामने आया. एक बच्ची, जिसका पेट का ऑपरेशन हुआ था और जो वेंटिलेटर पर थी, चूहों ने उसके कंधे और उंगलियों को काटा. उसकी हालत गंभीर थी और 3 सितंबर को उसने भी दम तोड़ दिया.

अस्पताल प्रशासन का दावा है कि दोनों बच्चों की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि सेप्टिसीमिया और जन्मजात बीमारियों की वजह से हुई. लेकिन सवाल यह है कि जो NICU जिंदगी बचाने का सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता है, वहां चूहे कैसे घुसे? और अगर चूहे पहले से आतंक मचा रहे थे, तो अस्पताल प्रशासन क्यों सोता रहा?

MYH का NICU चूहों का गढ़ बन चुका है. अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, NICU में लंबे समय से चूहे उछल-कूद कर रहे थे, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया. अस्पताल प्रशासन ने माना कि बारिश के कारण चूहे पाइपों और बिलों से NICU में घुस आए. अस्पताल का दावा है कि उसने 12,000 चूहे मारने का रिकॉर्ड बनाया और इसके लिए 10,000 रुपये से ज्यादा का बिल पास किया. फिर भी चूहे बेकाबू हैं. NICU की खिड़कियों पर जालियां नहीं थीं, और परिजनों द्वारा लाया गया खाना चूहों को आकर्षित कर रहा था.

घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया है. दो नर्सिंग ऑफिसर को सस्पेंड कर दिया गया है, नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को पद से हटा दिया गया है. पेस्ट कंट्रोल कंपनी पर जुर्माना लगाया गया है और एक जांच समिति बनाई गई है. मानवाधिकार आयोग ने भी अस्पताल को नोटिस भेजा है.

लेकिन परिजनों और विपक्ष का कहना है कि ये कार्रवाइयां सिर्फ खानापूर्ति हैं. MYH और इससे सटे अन्य अस्पताल चूहों का गढ़ बन चुके हैं. 12,000 चूहे मारने का दावा करने वाला प्रशासन अब भी इस समस्या से जूझ रहा है.

दो मासूमों की जान लेने वाले आदमखोर चूहों ने न सिर्फ अस्पताल की लापरवाही उजागर की है, बल्कि हर माता-पिता के दिल में डर पैदा कर दिया है. क्या सरकार और प्रशासन अब जागेगा, या ये सिर्फ एक और खबर बनकर रह जाएगी? वक्त बताएगा.

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